जैसे ही भारत और बांग्लादेश में सीमा विवाद सुलझा, वैसे ही दोनों देशों की सरहद पर जश्न शुरू हो गया. आजादी के छह दशक बाद यहां रह रहे लोगों को सही मायने में पहचान अब नसीब हुई है.