अरविंद केजरीवाल जिस सड़क से चले थे, वही सड़क अब एक बार फिर से पैरों के नीचे है. सचिवालय से निकली हुई नीली वैगनआर के अंदर बैठा हुआ आदमी अब एक बार फिर से आम आदमी की अदालत में है. अपनी खूबियों के साथ, अपनी ख़ताओं के साथ.