खुद को लोकतंत्र की नई नजीर पेश करने वाले केजरीवाल दरअसल कामकाज के मामले में तानाशाह जैसा बर्ताव करते हैं. उनके सारे फैसले उनकी चौकड़ी के लोग करते हैं, जिसमें चंद लोग शामिल हैं.