नासमझी के गड्ढे खोदते हैं और उसमें अंधविश्वास की आग जलाते हैं. जब पूरा देश रंग और गुलाल की होली खेल रहा था, तब कुछ इलाकों में आग का खतरनाक खेल खेला गया. परंपरा के नाम पर ऐसी रस्में अदा की गईं जिसे आधुनिक समाज में जगह कतई नहीं मिलनी चाहिए.