क्या दिल्ली में सिर्फ 32 रुपये रोजाना की कमाई पर कोई गुजर-बसर कर सकता है? आप पूछेंगे महंगाई के दौर में ये क्या मजाक है, लेकिन योजना आयोग को ये मजाक नहीं लगता. सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दाखिल हलफनामे में योजना आयोग ने गरीबी रेखा की जो नई परिभाषा तय की है, उसमें कहा गया है कि दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर या चेन्नई में अगर चार लोगों का परिवार महीने में 3860 रुपये से ज्यादा खर्च करता है तो उसे गरीब नहीं माना जाएगा.