कई बार नियम-क़ानूनों का रोड़ा नेकनियति के रास्ते में भी आ खड़ा होता है. यही हुआ राष्ट्रीय स्तर की महिला निशानेबाज़ के साथ. लेकिन ऐसे में पिता की हिम्मत काम आई. उन्होंने बेटी के सपनों में रंग भरने के लिए बिना रुके, बिना थके डेढ़ हज़ार किलोमीटर तक गाड़ी दौड़ा दी.