मां-बाप जब बूढ़े हो जाते हैं तो उन्हें आसरा होता है अपने बच्चों का लेकिन जब वही बच्चे उन्हें उन्हीं के घर से बेदखल कर दें तो फिर वो जाए तो जाए कहां. आज उस बदनसीब मां का दिल रो रहा है और लाचार पिता बेबसी के आंसू रो रहा है. सिर से छत छिन चुकी है और आज वो दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.