हर बार नया साल जश्न और धमाल का साल होता है लेकिन इस बार नया साल उम्मीदों और हौसलों का साल होगा. आने वाला साल बदलाव और नई शुरुआत का साल होगा. जाते जाते साल 2012 ने इतना बड़ा गम दिया है कि दिल में जश्न मनाने के जज्बात नहीं उठते बल्कि दर्द का मातम मनाने को जी मचलता है. हर बार नए साल के जश्न में डूब जाने वाली दिल्ली जश्न नहीं मना रही है बल्कि कैंडल जलाकर सड़कों पर उतरी है ताकि इंसाफ के लिए आवाज बुलंद होती रहे.