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मॉनसून की पहली बारिश के साथ ही प्रभावित क्षेत्रों को रवाना हुए सात हेलीकॉप्टर

मॉनसून के पहली बारिश के दौरान रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में आधा दर्जन सड़कें तथा पुल क्षतिग्रस्त होने के साथ ही चारधाम यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और स्थिति का जायजा लेने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की टीम के साथ हेलीकॉप्टरों ने प्रभावित क्षेत्रों में उड़ान भरना शुरू कर दिया है.

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उत्तराखंड में बारिश से ढहे कई पुल
उत्तराखंड में बारिश से ढहे कई पुल

मॉनसून के पहली बारिश के दौरान रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में आधा दर्जन सड़कें तथा पुल क्षतिग्रस्त होने के साथ ही चारधाम यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और स्थिति का जायजा लेने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की टीम के साथ हेलीकॉप्टरों ने प्रभावित क्षेत्रों में उड़ान भरना शुरू कर दिया है.

उत्तराखंड के मुख्य सचिव एन रविशंकर ने बताया, 'हमने सात हेलीकॉप्टरों को प्रभावित क्षेत्रों में भेजा है, यदि कोई जरूरत हो, तो उन्हें पूरा करने के लिए. इनमें से पांच जोशीमठ में और दो मंदाकिनी घाटी में हैं.' उन्होंने कहा, 'उन्हें जरूरत पड़ने पर वहां फंसे तीर्थ यात्रियों को निकालने के लिए भेजा गया है.' उन्होंने कहा, हालांकि वर्षा प्रभावित दोनों जिलों की वास्तविक स्थिति का पता अधिकारियों के उन क्षेत्रों से वापस लौटने पर ही चलेगा.

तेज बारिश से सड़कों और पुलों को नुकसान

मॉनसून के उत्तराखंड पहुंचने के महज एक दिन बाद भारी बारिश से गुरुवार दोनों जिलों में सड़कों और पुलों को बहुत नुकसान पहुंचा है. इससे चारधाम यात्रा बुरी तरह प्रभावित हुई है और हिमालयी तीर्थ तक जाने वाले हजारों श्रद्धालुओं की यात्रा थम गई हैं. विभिन्न स्थानों पर हुई बारिश और सड़कों पर जगह-जगह भूस्खलन का मलबा जमा होने के कारण उनके अवरूद्ध होने से चारधाम यात्रा और हेमकुंड तथा मानसरोवर यात्रा भी प्रभावित हो रही है. पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि धारचूला के रास्ते मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले चौथे जत्थे को भारी बारिश के कारण रोक दिया गया है.

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अवरुद्ध रहा बद्रीनाथ राजमार्ग

चमोली जिले के आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदकिशोरी जोशी ने बताया कि कल शाम की भारी बारिश में सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच वाहन परिचालन के लिए बना एक महत्वपूर्ण पुल बह गया. इसके अलावा बद्रीनाथ राजमार्ग आज लगातार दूसरे दिन चार स्थानों पर अवरुद्ध रहा जिसके कारण बद्रीनाथ, हनुमानछत्ती, पंडुकेश्वर, गोविन्दघाट और घनघरिया में करीब 9,000 श्रद्धालु फंसे हुए हैं.

जोशी ने बताया कि जोशीमठ और विष्णुप्रयाग के बीच बदरीनाथ राजमार्ग पर पहाड़ों से टूटे बड़े-बड़े पत्थर तथ चट्टानें रास्ता रोके हुए हैं, जिसके कारण सिख धर्मस्थल हेमकुंड साहिब जाने और वहां से लौटने वाले श्रद्धालुओं को अलग-अलग स्थानों पर आश्रय लेना पड़ा है. उन्होंने बताया कि हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हो चुके 5,000 से ज्यादा श्रद्धालु घनघरिया में रूके हुए हैं, जबकि करीब 1,200 श्रद्धालुओं को गोविन्दघाट में ही रूकने को कहा गया है.

श्रद्धालु राजमार्ग के खुलने का कर रहे हैं इंतजार

उन्होंने बताया कि बद्रीनाथ में करीब 5,000 श्रद्धालु राजमार्ग के खुलने का इंतजार कर रहे हैं. अलकनंदा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए गोविन्दघाट में स्थित गुरूद्वारे को खाली करा दिया गया है. जोशी ने बताया कि वहां ठहरे हुए यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है. हेमकुंड साहिब तक पैदल जाने वाले रास्ते में बना पुल भी बह गया है.

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अधिकारी ने बताया कि चमोली जिले में आठ सड़कें मलबे के कारण अवरुद्ध हैं, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. राज्य आपदा मोचन बल की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, चमोली जिले में तीन अस्थायी पुलों को नुकसान पहुंचा है और रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ जाने वाली सड़क सोनप्रयाग में करीब 100 मीटर तक क्षतिग्रस्त हो गई है.

इनपुट: IANS

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