उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से मची तबाही में अब तक 19 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं और 202 लोग लापता हैं. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, वायुसेना, आर्मी, उत्तराखंड पुलिस राहत एवं बचाव कार्य में जुटी है. तपोवन सुरंग से लोगों को बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जा रही है. गृह मंत्रालय भी इस घटना पर नजर बनाए हुए है.
आजतक भी ग्राउंड जीरो पर सबसे पहले पहुंचा है. गांववालों ने बातचीत में बताया कि जब यहां ऋषिगंगा हायड्रो पावर प्रोजेक्ट बन रहा था तो उन्होंने विस्थापन की मांग की थी. लेकिन रविवार को आए सैलाब के बाद वे लोग ऊंचे स्थानों की ओर चले गए. रातभर वे लोग वहीं रहे. सुबह महिलाओं ने शिकायत की कि उन्हें खाना तक नहीं मिला. कोई सुध लेने के लिए आया नहीं.
जानकारी के मुताबिक कुछ लोग अपने बच्चों और परिवार को लेकर जोशीमठ की ओर चले गए क्योंकि वे पहाड़ को अच्छे से समझते हैं और उन्हें लगता है कि जिस तरह से ग्लेशियर टूटा है, उससे कहीं ऐसा न हो कि ऊपर छोटे-छोटे तालाब बन गए हों और उसमें धीरे-धीरे बर्फ पिघल रही हो. अगर वो पानी नीचे आया तो सैलाब ला सकता है. इसलिए वो यहां से निकल रहे हैं.
आजतक से बातचीत में एक शख्स ने बताया कि इस घटना से पर्यटक काफी डरे हुए हैं. वे डर के मारे इस इलाके में आना नहीं चाहेंगे. फिलहाल कुछ पर्यटक अपने लॉज में हैं या वापस जा रहे हैं. अब वो यहां आने से डर रहे हैं. बता दें कि चमोली के जोशीमठ में रविवार की सुबह करीब 10:30 बजे नंदादेवी ग्लेशियर टूटने के बाद धौलीगंगा नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया और उसमें बाढ़ आ गई. यही वजह है कि धौलीगंगा और ऋषि गंगा नदी पर बना पावर प्रोजेक्ट इसका सबसे पहला शिकार बना और पूरी तरह तबाह हो गया. बाढ़ के रास्ते में जो भी पुल और सड़कें आईं, वो भी बह गईं.
बता दें कि ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट बीते 10 सालों से चल रहा था और इससे बिजली का उत्पादन किया जा रहा था. यह सरकारी नहीं बल्कि निजी क्षेत्र की परियोजना थी. प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए इस प्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान भी इसका खूब विरोध हुआ था. पर्यावरण के लिए काम करने वाले लोगों ने इसे खतरनाक बताया था. इतना ही नहीं लोगों ने इस प्रोजेक्ट के विरोध में कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था और यह अभी न्यायालय में विचाराधीन है.