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केदारनाथ के कपाट खुलने पर नदारद रही सरकार, सतपाल महाराज का तंज

सतपाल महाराज से जब बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने पर किसी भी मंत्री के ना पहुंचने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने व्यंग्य पूर्वक ये कहने में देरी नहीं की कि सभी वहां सूक्ष्म रूप में मौजूद थे, भले ही तन कहीं और था मगर मन वहीं बाबा केदारनाथ के धाम में था.

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सतपाल महाराज
सतपाल महाराज

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू हो गई है, लेकिन प्रदेश के पर्यटन और धर्म, संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज इस यात्रा से दूरी बनाए हुए हैं. बाबा केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के वक्त सतपाल महाराज का वहां नहीं जाना साफ तौर पर सरकार से उनकी नाराजगी की ओर इशारा कर रहा है.

उनसे जब बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने पर किसी भी मंत्री के ना पहुंचने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने तंज के अंदाज में ये कहने में देरी नहीं की कि सभी वहां सूक्ष्म रूप में मौजूद थे, भले ही तन कहीं और था मगर मन वहीं बाबा केदारनाथ के धाम में था. यह बात उन्होंने हंसते हुए कही. बता दें कि सतपाल महाराज पर्यटन के अलावा धर्म और संस्कृति के मंत्री भी हैं ऐसे में केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खुलने पर उनका ना पहुंचना सीधे तौर पर उनकी नाराजगी प्रकट करने के लिए काफी है.

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बाबा के धाम से नदारद रही सरकार, नहीं पहुंचा एक मंत्री भी

गौरतलब है कि इस बार 29 अप्रैल को बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खुलने थे जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आना तय माना जा रहा था. उनके साथ ही 19 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी कपाट खुलने के अवसर पर पहुंचना था लेकिन अंतिम समय में प्रधानमंत्री के दौरे में बदलाव हुआ और फिर केदारनाथ में ना तो प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ही कपाट खुलने के दौरान मौजूद थे और न ही भाजपा शासित प्रदेश का कोई भी मुख्यमंत्री. इतना ही नहीं उत्तराखंड सरकार का भी कोई मंत्री इस मौके पर नहीं पहुंचा, ऐसे में सिर्फ प्रदेश के गवर्नर के.के पॉल व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ही थे जो केदारनाथ के कपाट खुलने जैसे शुभ मुहूर्त पर मौजूद थे.

हालांकि काफी किरकिरी होने के बाद 30 अप्रैल को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बद्रीनाथ के विधायक के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई.

केदारनाथ में किए काम की स्पीड से खुश नहीं प्रधानमंत्री?

विश्वशनीय सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री के केदारनाथ दौरे को रद्द करने के पीछे सबसे अहम वजह है केदारधाम में किए जा रहे कार्यों का पूर्ण नहीं हो पाना. केदारपुरी का सपना पूरा करने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पीएमओ लगातार नजरें बनाए हुए थे, मगर कपाट खुलने से पहले हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से केदारनाथ का जायजा लेने के बाद वो संतुष्ट नहीं दिखे. शायद यही वजह है कि मुख्य सचिव के ऑफिस के द्वारा उपलब्ध करवाए वीडियो में किसी भी तरह की न तो आवाज ही थी और न ही पूरा वीडियो ही था. सिर्फ 11 सेकंड के वीडियो को ड्रोन कैमरे से देखकर ही प्रधानमंत्री असंतुष्ट थे. गौरतलब है कि जिस स्पीड से काम करने के लिए निर्देश दिए गए थे उस स्पीड से काम हो ही नहीं पाया और अभी भी काम पूरी तरह से अधूरा है जिसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है.

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