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उत्तराखंडः कुंभ कोरोना टेस्टिंग में फर्जीवाड़े के सबूत, हर नंबर पर किया जा रहा फोन

कुंभ में आने वाले लोगों की पहचान के लिए डीएम ने स्वास्थ्य विभाग को टेस्ट कराने वाले का नाम, पता और फोन नंबर अनिवार्य रूप से दर्ज करने के निर्देश दिए थे. बावजूद इसके निजी लैब ने अनियमितता कर बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया.

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कुंभ मेले के दौरान बड़ी संख्या में कोरोना टेस्टिंग के नाम पर फर्जीवाड़ा (सांकेतिक-पीटीआई)
कुंभ मेले के दौरान बड़ी संख्या में कोरोना टेस्टिंग के नाम पर फर्जीवाड़ा (सांकेतिक-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कुंभ स्वास्थ्य विभाग ने 11 लैब को जांच के लिए किया था अधिकृत
  • मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, 2 लैब द्वारा एक लाख जांच में फर्जीवाड़ा
  • DM ने CDO के नेतृत्व में 3 सदस्यीय जांच समिति का गठन किया

कुंभ मेले के दौरान हुए फर्जी कोरोना टेस्टिंग को लेकर नया मामला सामने आया है, जहां फर्जीवाड़ा होने के कुछ सबूत मिले हैं. कुंभ मेले के दौरान जिन एक लाख RT-PCR जांच में फर्जीवाड़ा होने के आरोप लग रहे हैं, उन नंबर्स को भी वैरिफाई किया जा रहा है और इसके लिए 8 लोगों की टीम एक-एक नंबर पर फोन करके उसे वैरिफाई कर रही है, जिनमें काफी हद तक फर्जीवाड़ा होने के साक्ष्य सामने आ रहे हैं, अभी भी लगातार इसी लाइन पर जांच का क्रम चल रहा है. 

कुंभ के दौरान आने वाले यात्रियों और अन्य लोगों की कोरोना जांच के लिए कुंभ स्वास्थ्य विभाग ने 11 लैब को कुंभ में जांच के लिए अधिकृत किया था, इनमें मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज और इसके द्वारा हायर किए गए नलवा लैब्स और डॉ. लालचंदानी लैब द्वारा करीब एक लाख कोरोना आरटी-पीसीआर की जांच में फर्जीवाड़ा की बात सामने आयी थी.

उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन

उत्तराखंड सरकार ने इतनी अधिक संख्या में आने वाले लोगों की जान की सुरक्षा और कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए ही कोरोना जांच को बढ़ाया था ताकि कोई भी संक्रमित मेला क्षेत्र में प्रवेश न करे, और कोई आ भी जाए तो उसे तत्काल ट्रेस किया जा सके.

लेकिन लैब की तमाम टेस्टिंग सिर्फ कागजों तक ही सीमित रही और हकीकत में कुछ नहीं किया, जिससे कुंभ में आने वाले बड़ी संख्या में श्रद्धालु कोरोना संक्रमित हुए और यही नहीं इसके चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की जान को खतरा हुआ.

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डीएम ने स्वास्थ्य विभाग को टेस्ट कराने वाले का नाम, पता और फोन नंबर अनिवार्य रूप से दर्ज करने के निर्देश दिए थे. बावजूद इसके निजी लैब ने अनियमितता कर बड़ा फर्जीवाड़ा किया, जिस पर जिलाधिकारी ने सीडीओ के नेतृत्व में तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया था जिस पर अभी जांच जारी है. SIT उत्तराखंड भी इस जांच को बेहद गंभीरता बरतते हुए हर कड़ी पर गहन जांच में जुटी है.

ऐसे सामने आया कुंभ टेस्टिंग  घोटाला

कुंभ 2021 के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं, यात्रियों और स्थानीय लोगों की कोरोना जांच में बड़ी फर्जीवाड़ा के आरोप लगने के बाद हरिद्वार डीएम सी रविशंकर ने 3 सदस्यीय समिति का गठन कर 15 दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश दिए थे. आरोप था कि कुंभ 2021 मेले के दौरान यात्रियों और साधु-संतों की बड़ी पैमाने पर कोविड जांच की गई थी मगर इस कोविड जांच के नाम पर निजी लैब द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया, इसकी शिकायत फरीदकोट निवासी विपिन मित्तल द्वारा स्वास्थ्य सचिव से की गई कि वे कुंभ में नहीं आये पर उनकी जांच रिपोर्ट आई है.

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इस पर स्वास्थ्य सचिव ने जिलाधिकारी हरिद्वार को जांच करवाने के निर्देश दिए थे जिसके बाद जिलाधिकारी द्वारा जांच कमेटी गठित की गई है और फिर जो पूरा मामला खुलकर सामने आया उसने न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश में महाकुंभ की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए

क्या मिला अभी तक जांच में

प्रारंभिक जांच में फर्जीवाड़े के साक्ष्य मिलने पर जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके झा की तहरीर पर हरिद्वार कोतवाली में 17 जून को कंपनी मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज और दो लैब डॉ. लालचंदानी और नलवा लैब्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया.

इन पर आरोप है कि इन्होंने जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा किया और ऐसे लोगों की जांच भी की है जो हरिद्वार कुंभ में आए ही नहीं मगर उनके नाम पर जांच करके रिपोर्ट सबमिट की गई. यही नहीं एक ही स्थान पर सैकड़ों जांच की गई, एक ही फोन नंबर पर बड़ी संख्या में रजिस्ट्रेशन भी किए गए.

कौन एजेंसी कर रही महाघोटाले की जांच

फर्जीवाड़े मामले में जिला प्रशासन और मेला प्रशासन द्वारा अलग-अलग स्तर पर जांच कराई जा रही है. मेला प्रशासन ने अपर मेला अधिकारी स्वास्थ्य की अध्यक्षता में एक 5 सदस्यीय समिति बनाकर अंदरूनी स्तर पर इस फर्जीवाड़े की जांच शुरू करवा दी है तो वहीं जिला प्रशासन के द्वारा सीडीओ सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच कराई जा रही है. दोनों ही समितियों को अलग-अलग 15 दिन का समय दिया गया था.

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जिला प्रशासन द्वारा कराई गई जांच में प्रारंभिक तौर पर फर्जीवाड़ा होने के तथ्य मिले हैं जिसके आधार पर जिला प्रशासन के निर्देश पर सीएमओ द्वारा नगर कोतवाली हरिद्वार में मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज और नलवा लैब और डॉ. लालचंदानी लैब के विरुद्ध धारा 269, 270, 420, 468, 471, 120 बी, 188 भादवि, धारा 5 आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और धारा 3 महामारी अधिनियम 1897 के तहत मुकदमा पंजीकृत कराया गया था.

मामला बड़ा होने की वजह से उत्तराखंड की SIT ने भी कमान संभाली हुई है. जांच की जिसकी सीधे तौर पर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ही मॉनिटरिंग कर रहे हैं. 

ये हुई अब तक की कार्रवाई

जिलाधिकारी रविशंकर ने मुकदमा दर्ज करने के साथ स्पेशल इन्वेस्टीगेशन के लिए पुलिस को भी निर्देशित किया था. इस पर 18 जून को एसएसपी हरिद्वार ने एसआईटी गठित कर दी. एसआईटी का नेतृत्व सीओ बुग्गावाला राकेश रावत को दिया गया और नगर कोतवाली प्रभारी राजेश शाह को आईओ बनाया गया है. एसआईटी के सुपरविजन की जिम्मेदारी एसपी सिटी को सौंपी गई जो सीधा पुलिस प्रमुख को भी रिपोर्ट कर रही हैं.

उत्तराखंड एसआईटी के द्वारा आरोपी कंपनी मैक्स कारपोरेट सर्विसेज, डॉ. लालचंदनी लैब और नलवा लैब्स को नोटिस भेजकर तलब किया है. एसआईटी ने स्पेशल वाहक द्वारा दो नोटिस दिल्ली और एक नोटिस हिसार भेजा है. यही नहीं एसआईटी द्वारा अन्य संबंधित को भी नोटिस दिए गए और डॉक्युमेंट की जांच भी शुरू कर दी गई है और संबंधित अधिकारियों से भी पूछताछ शुरू कर दी है.

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अब तक जांच अधिकारी मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार के कक्ष में आरोपित कंपनी मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के पार्टनर और अन्य से घंटों तक पूछताछ कर चुके हैं. मैक्स कंपनी के पार्टनर शरत पंत और दूसरी पार्टनर शरत की पत्नी मलिका पंत और अन्य से जांच अधिकारी सीडीओ और उनके साथी ने दोनों से पूछताछ कर फर्जीवाड़े का पता लगाने का प्रयास किया है और कुछ डॉक्युमेंट भी प्राप्त किए हैं. साथ ही नलवा लेब और डॉ. लालचंदानी लैब के प्रतिनिधियों से भी घंटों पूछताछ की गई. पूछताछ के बाद मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के पार्टनर ने फर्जीवाड़े में हाथ होने से इनकार किया. 

मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज कंपनी पर कैसे आरोप

मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज कंपनी को 12 मार्च 2021 के आवेदन पत्र पर मिली अनुमति संबंधी कागज में ओवर राइटिंग कर 12 मार्च को 12 जनवरी किया गया है. इस पर स्वास्थ्य मेलाधिकारी कुंभ के हस्ताक्षर है जिसकी दिनांक में ओवर राइटिंग की गई है.

मैक्स कॉरपोरेट कंपनी ने नामचीन मैक्स कंपनी का नाम इस्तेमाल करते हुए खुद ये किया और खुद को कोरोना जांच करने वाली कंपनी बताया था और उसके बाद मैक्स ने लालचंदानी और नालवा लैब को कोरोना जांच का काम सौंप दिया.

नालवा लैब ने भी एक तीसरी कंपनी डेल्फिया से मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की जांच कराई जबकि इस कंपनी के पास कोरोना जांच करने का कोई लाइसेंस नहीं है.

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मैक्स कंपनी के मालिक शरत पंत ने जिन बड़े नेताओं और मंत्रियों के साथ फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर डाले हैं. अब उन नेताओं ने भी चुप्पी साधी हुई है. 

पुलिस ने मुकदमे में बढ़ाई धारा

इस मामले में 2 जुलाई को एसआईटी द्वारा की जा रही जांच में पुलिस ने मुकदमे में आईपीसी की धारा 467 को बढ़ाया है और इसके आधार पर जांच शुरू कर दी है. 

एसआईटी, मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के साथ ही दोनों लैब्स नलवा लैब और डॉ लालचंदानी लैब के प्रतिनिधियों से पूछताछ कर चुकी है और साथ ही इस मामले में जिनकी भी संलिप्तता है या जो ऑर्डर देने में या जो इसको नियंत्रित करने में लगे हैं सभी से पूछताछ की जा रही है.

कितनी एंट्री और जांच करवाई गईं

जिलाधिकारी की जांच में यह तथ्य सामने आया कि 13 अप्रैल 2021 से 16 मई 2021 कुंभ मेले में उक्त फर्मों द्वारा 1,04,796 सैंपल लिए जाने के लिए एंट्री कराई गई और 95,102 पोर्टल में अपलोड कर दिए गए. 

शिकायतकर्ता का यह भी कहना है कि इन फर्मों द्वारा खुद को लाभ पहुंचाने के लिए गलत तरीके से एक लाख लोगों की फर्जी रिपोर्ट तैयार की गई. उदाहरण के तौर पर हरिद्वार के नेपाली फार्म में 3,825 लोगों का सैंपल एक फोन नंबर 7747028144 से दर्ज कर दिया गया, जिससे स्पस्ट होता है कि इनके द्वारा सरकार को आर्थिक हानी पहुंचाई गई है.

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शिकायत को आधार मानकर सीएमओ हरिद्वार ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 की धारा 53 और आईपीसी की धारा 120बी, 188, 269, 270, 420, 468 और 471 में 17 जून 2021 को मैक्स कॉरपोरेट सर्विस, नालवा लैबोरेटरी और डॉ. लालचंदानी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. जिसके खिलाफ मैक्स और डॉ. लालचंदानी ने उच्च न्यायालय में अपनी याचिकाएं दाखिल की हैं.

उत्तराखंड उच्च न्यायालय में हरिद्वार के मैक्स कॉरपोरेट सर्विस ने याचिका दायर कर कुंभ मेले के दौरान कोरोना की नकली टैस्टिंग के खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती दी है. मैक्स कॉरपोरेट सर्विस के अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि उन्होंने न्यायालय से कहा कि उनके क्लाइंट (मुवक्किल) ने राष्ट्र स्तर पर लैबरेटरी से अनुबंध किया है. आरोप लगाया कि एफआईआर में दर्ज संबंधित चार्ज उनके खिलाफ बनते ही नहीं हैं, साथ ही उन्होंने ये दावा किया कि नलवा लैबोरेटरीज और डॉ. लालचंदानी लैब्स लिमिटेड दोनों ही आईसीएमआर से मान्यता प्राप्त हैं. 

'मैक्स सेवादाता फर्म का फर्जीवाड़े से नहीं कोई नाता'

मैक्स सर्विसेज के अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय में ये दावा किया कि मैक्स कॉरपोरेट सर्विस तो केवल सेवादाता कंपनी है. याची ने न्यायालय से कहा है कि मैक्स का इस फर्जीवाड़े से कोई लेना देना नहीं है, बल्कि वो भी चाहते हैं कि इस घोटाले का खुलासा हो.

अधिवक्ता कार्तिकेय ने कहा कि उनकी कंपनी इस मसले में दोनों लैबों को केवल सुविधा प्रदान करने वाली है. सभी सैंपल एकत्रित और अन्य डाटा एंट्री तो सरकार के सक्षम अधिकारियों की देखरेख में हुई थी. याचिकाकर्ता ने न्यायालय से कहा है कि उन्हें सरकार की किसी भी दुर्भावना से सुरक्षा दे और इसके लिए उनके क्लाइंट ने सरकार की जांच में हर संभव मदद करने की बात कही है.

हरिद्वार कुंभके दौरान कोविड जांच में धोखाधड़ी करने के आरोपी डॉ. लालचंदानी लैब दिल्ली ने एफआईआर को निरस्त करने और अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है. लैब की तरफ से कहा गया है कि उनको कुंभ मेले में टेस्ट करने के लिए मैक्स कॉरपोरेट द्वारा काम दिया गया था, जिसे उन्होंने सही तरीके से किया और उसका सारा रिकार्ड उनके पास मौजूद है. उनका लैब आईसीएमआर से मान्यता प्राप्त है.

 

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