उत्तराखंड के हरिद्वार में हुई तीन दिवसीय धर्म संसद को लेकर विवाद जारी है. धर्म संसद में शामिल लोगों द्वारा विवादित भाषणों का मामला तूल पकड़ चुका है. खुद को धर्मगुरु कहने वाले लोग अनापशनाप बयानबाजी करके देश के संविधान और कानून दोनों को चुनौती देने की बात सामने आई तो वहीं 3 दिन की धर्म संसद में एक धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए गए. मामले पर बवाल मचने के बाद इस पर अब उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
डीजीपी ने कहा कि जो भी कुछ सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, वह मेरी जानकारी में गुरुवार को लाया गया. धर्म संसद में जो भी बयान बाजी हुई है वो गलत है. कानूनी तौर पर यह भड़काऊ और नफरत फैलाने वाली बयानबाजी है. इस पर एफआईआर दर्ज कर दी गई है और विवेचना जारी है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे पास जो कंप्लेन आयी है, उसमें एक ही नाम की जानकारी है. हो सकता है शिकायतकर्ता को और नाम न मालूम हों. ऐसे में उसने एक नाम के साथ 'आदि' लिखा है.
उन्होंने आगे कहा कि अब 'आदि' में सब शामिल हैं, और हमारी विवेचना में सब शामिल हैं. इस मामले में सबसे बात की जाएगी. डीजीपी ने साफ तौर पर कहा कि ऐसी बातों के लिए हमारे कानून में कोई जगह नहीं है. इस पूरे मामले में कार्रवाई की जाएगी. जिसने भी कानून के हिसाब से गलत किया है उस पर कार्रवाई होगी.
बता दें कि हरिद्वार में हुई तीन दिवसीय धर्म संसद में जहरीली बयानबाजी सामने आई. हिंदू महासभा के जनरल सेक्रेटरी और निरंजनी अखाड़ा महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा मां ने इस सभा को संबोधित करते हुए हिंदुओं से आव्हान किया कि वो कॉपी किताब छोड़कर शस्त्र उठा लें. एक धर्म विशेष के खिलाफ नफरत बढ़ाने में यति नरसिंहानंद भी पीछे नहीं रहे और उन्होंने भी हिंदुओं से हथियार उठाने की मांग की. जिसके बाद अब इस तरह के बयानों को लेकर बवाल मचा हुआ है.