उत्तराखंड की तबाही का मंजर आंखों से जाता नहीं है. महज चंद घंटों की बारिश और ऐसी बर्बादी...6 दिन हो गए और अब तक उस कहर से निपटा भी नहीं जा सका है. अब भी हजारों लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं. बहुतों के बारे में ये पता ही नहीं चल पा रहा है कि वो फंसे हैं तो कहां हैं?
बारिश लाएगी मुश्किल
ऐसी हालत में फिर से बारिश के आसार. अब लोग चिंतित हों या डटकर इस नई बारिश से भिड़ने को तैयार, लेकिन मौसम तो पूरी तरह से तैयार है एक बार फिर बरसने को. आम तौर पर गर्मी के इस मौसम में लोगों को बारिश का इंतजार होता है. लोग बादलों को अपने आंगन में बरसने का न्योता देते हैं. लेकिन उत्तराखंड की पहाड़ियों को अब बारिश से डर लगता है. हवा का रुख बताता है कि अगले 48 घंटे में एक बार फिर से बादल बरसेंगे.
मौसम विभाग का कहना है कि चक्रवातीय हवाएं चलनी लगी हैं. इन हवाओं को उत्तर भारत की गर्मी के मेल से आर्द्रता का माहौल बनने लगा है. आसार हैं कि 24 तारीख से देहरादून और कुमाऊं के इलाके में बारिश होगी. और ये 28 तारीख तक जारी रहेगी.
क्या एक बार फिर बरसेगा कुदरत का कहर?
इस अगली बारिश के बारे में सबसे अहम और चिंता की बात ये है कि ये फिर उन्हीं इलाकों में होगी, जहां पहले ही भारी तबाही हो चुकी है. सबसे बड़ा असर राहत के काम पर पड़ेगा.
कुदरत के कहर ने उत्तराखंड को बेबस कर दिया, तबाह हो गया केदारनाथ, पटरी से उतर गया उत्तरकाशी. सैकड़ों की मौत की खबर आ चुकी है और हजारों मौतों की आशंका है. राहत के काम में सेना के साथ-साथ वायुसेना और आईटीबीपी के जवान जुटे हैं. माना जा रहा है कि करीब 40 हजार लोग अबतक फंसे हुए हैं. वो भी ऐसी जगह कि खाना-पीना भी नसीब नहीं हो रहा है.
सवाल 40 हजार मासूम जिंदगियों का है
हालात इतने विकट हैं कि अंदाजा लगाना भी मुमकिन नहीं. जहां सैकड़ों लोग फंसे हों, वहां एक-एक, दो-दो करके लोगों को निकालना कितना मुश्किल भरा है. केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे भी अपनी मजबूरी जता चुके हैं. उनका कहना है कि प्रभावित इलाकों में बड़ा हेलीकॉप्टर नहीं उतार सकते, छोटे में एक से दो लोग आते हैं. लेकिन सवाल ये है कि आखिर कैसे बचेगी 40 हजार लोगों की जान? सेना के जवान हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. बात 40 हजार जिंदगियों की है. इसलिए राहत का काम युद्धस्तर पर चल रहा है. लोगों को निकालने और सुरक्षित जगहों पर ले जाने की कोशिश की जा रही है. लेकिन मौसम, राहत के काम में रोड़े अटका रहा है.
राहत के काम में हर कदम पर मुश्किल है, हर राह कांटों से भरी है. ऊपर से मौसम विभाग भी पहाड़ों पर 48 घंटे के भीतर बारिश की चेतावनी दे चुका है. फिर भी सेना के जवान जी-जान से अपना कर्तव्य पूरा करने में जुटे हैं, क्योंकि इन्हें बखूबी पता है हर एक जिंदगी की कीमत. फिर यहां तो सवाल 40 हजार मासूम जिंदगियों का है.
उत्तराखंड की आपदा में फंसे लोगों की मदद के लिए हेल्पालाइन नंबर इस प्रकार हैं:
पिथौरागढ़: 05964-228050, 226326
अल्मोड़ा: 05962- 237874
नैनीताल: 05942- 231179
चमोली: 01372- 251437, 251077
रुद्रप्रयाग: 01364- 233727
उत्तरकाशी: 01374- 226461
देहरादून: 0135- 2726066
हरिद्वार: 01334- 223999
टिहरी गढ़वाल: 01376- 233433
बागेश्वर: 05963- 220197
चम्पावत: 05965- 230703
पौड़ी गढ़वाल: 01368- 221840
उधम सिंह नगर: 05944- 250719, 250823