
तकनीकी तौर पर बेहद खतरनाक माने जानी वाली 6000 मीटर की ऊंची वाली गरुड़ चोटी की बीएसएफ के जवानों ने दूसरी बार चढ़ाई की है. गढ़वाल हिमालयन रेंज के जिला चमोली में पड़ने वाली इस चोटी की चढ़ाई पर्वतारोहियों के लिए भी बेहद मुश्किल है. बीएसएफ की टीम ने ग्लेशियर और तूफान के डर से 12 बजे रात से इस अभियान को शुरू किया था.
पहले शिफ्ट में बीएसएफ के 10 पर्वतारोही चोटी पर पहुंचे, फिर दूसरे शिफ्ट में दूसरी टीम पर्वत पर पहुंची. पहली बार सिर्फ 5 दिन में इस चोटी को फतह किया गया है, जबकि इस पर्वत की चढ़ाई में 10 से 15 दिन का समय लगता है. 2019 और कोरोना काल के बाद पहला पर्वतारोही दल है, जिसने इस चोटी को फतह किया है.
दरअसल 23 जून को बीएसएफ की 20 सदस्यीय टीम जोशीमठ के लिए रवाना हुई. 24 जून को आईटीबीपी प्रथम वाहिनी में यह टीम रुकी. 25 जून को जुम्मा, 27 जून को द्रोणागिरी, 28 जून बागनी ग्लेशियर, 29 जून को 4350 मीटर ऊंचाई पर स्थित बेस कैम्प में टीम पहुंची. फिर 1 जुलाई को बेस कैम्प 15000 मीटर की ऊंचाई पर रुकी.
3 जुलाई को 10 पर्वतारोहियों के दल ने ग्रांड एडवेंचर के राजेन्द्र मर्तोलिया के नेतृत्व में रात करीब 12 बजकर 11 मिनट पर पर्वतारोहण अभियान को शुरू किया. सुबह करीब 4 बजकर 24 मिनट पर दल को कामयाबी हासिल हो गई.
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चोटी पर लहरा देश की शान तिरंगा
वहीं इस चोटी पर विजय से उत्साहित टीम ने 7 बजे बेस कैंप पहुंची, फिर 4 जुलाई को डीसी दिनेश कुमार के नेतृत्व में रात 12 बजे टीम ने दोबारा पर्वतारोहण अभियान शुरू कर दिया. सुबह करीब 3 बजकर 43 मिनट पर दूसरी बार इसी चोटी को फतह करने में कामयाबी मिली. टीम ने यहां देश का तिरंगा झंडा और बीएसएफ का झंडा लहराया.

बीएसएफ ने दिखाया अदम्य साहस
बीएसएफ के कमाडेंट महेश कुमार नेगी का कहना है कि हमारी टीम ने सफलता पूर्वक गरुड़ की चोटी को फतह कर लिया है. 5 दिन के रिकॉर्ड टाइम में इसे फतह कर पर्वतारोहियों ने अदम्य साहस और उत्कृष्ट तैयारियों का परिचय दिया है.