उत्तराखंड सरकार ने जल्दबाजी में यात्रा शुरू करके कहीं यहां रहने वाले और यहां आने वाले तीर्थयात्रियों की जान से खिलवाड़ तो नहीं किया है. जी हां, उत्तराखंड स्थित मशहूर चार धाम जाने वाली सड़कें दो या तीन बारिश की मेहमान हैं. करोड़ों रुपये खर्च कर सरकार ने जल्दी से सड़कें तो बनवा दी लेकिन ये सड़कें खतरे से खाली नहीं है ये कहना है खुद उस शख्स का जिसके कंधो पर सरकार ने एक महीने में सड़क बनाने का भार डाला है
पिछले साल की तरह इस बार भी अगर उत्तराखंड में पानी का सैलाब आया तो इससे होने वाली तबाही का अंदाजा लगाना मुश्किल है. क्योंकि जिन सड़कों के सहारे राहत और बचाव कार्य पिछली बार चलाए गए थे वो इस बार जरा भी कुदरत का सितम सहन नहीं कर पाएंगी.
आपको शायद अंदाजा भी न हो कि श्रीनगर से गौरी कुण्ड तक सड़क बनाने का जिम्मा सरकार ने जिस कंपनी को दिया है, उसने साफ कह दिया है कि मौजूदा सड़कें महज दो या तीन बारिश की मेहमान हैं. क्योंकि जिस तरह से उनको काम जल्दी पूरा करने के लिए कहा गया है, उसी तरह उन्होंने काम किया है.
सीनियर इंजीनियर के एस मेहता कहते हैं, 'सड़कें सुरक्षित नहीं है. सड़कों पर खतरा ज्यादा है.'
इतने लम्बे रूट की सड़क इतने कम समय में बनते देख स्थानीय लोग भी हैरान हैं. लोगों का कहना है कि सड़क का काम तो युद्ध स्तर पर हो रहा है लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि ये सब जल्दबाजी में किया जा रहा है जबकि ठीक से न तो काम हो रहा है और न मानक पूरे किये जा रहे हैं. अगर एक भी बारिश आई तो सब कुछ बह जायेगा.