उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित धराली और हर्षिल गांव इन दिनों भीषण प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे हैं. आज तक की टीम हर बाधा पार करते हुए ग्राउंड ज़ीरो तक पहुंची, जहां पहाड़ों की ख़ामोशी में तबाही की चीखें गूंज रही हैं.
जिस धराली बाजार में कभी खूब चहल-पहल हुआ करती थी वह अब मलबे और कीचड़ के ढेर में तब्दील हो चुका है.कई पुल बह गए हैं, जिससे संपर्क टूट गया है.
धराली से कुछ दूर हर्षिल में भागीरथी नदी का बहाव अचानक रुकने से झील जैसी स्थिति बन गई है. भू-स्खलन और भारी मलबे के चलते नदी का रास्ता रुक गया है, जिससे हर्षिल में संकट और गहरा गया है. यह किसी आने वाली और बड़ी आपदा की चेतावनी जैसा है.
धराली: मलबे का गांव
धराली गांव अब मलबे और कीचड़ का मैदान बन चुका है. पूरा बाज़ार ज़मीन के नीचे दब गया है. दुकानों और घरों के सिर्फ़ निशान बाकी हैं. गांव का मुख्य पुल, लोहे का स्ट्रक्चर, बह चुका है, जिससे गांव का संपर्क पूरी तरह से टूट गया है.
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राहत में जुटी सेना और NDRF
सेना और NDRF की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं. कई जगहों पर खुदाई कर लोगों तक पहुंचने की कोशिशें जारी हैं. एक सेना अधिकारी ने 'आज तक' को बताया कि ऑपरेशन लगातार चल रहा है और हर संभव कोशिश की जा रही है कि लोगों को सुरक्षित निकाला जाए.
मंदिर बना शरणस्थली
धराली का प्रसिद्ध सोमेश्वर महादेव मंदिर पूरी तरह सलामत है और अब वह संकट में घिरी महिलाओं और बुजुर्गों के लिए शरणस्थली बन गया है. कई महिलाएं इसी मंदिर में रह रही हैं और बाहर का मंजर देखकर दहशत में हैं.
लोगों ने 'आज तक' से बातचीत में बताया कि कैसे मलबा अचानक उनके घरों में घुसा, कैसे पूरी ज़िंदगी एक झटके में उजड़ गई. एक बुज़ुर्ग महिला ने टीम को खाना ऑफर करते हुए कहा — "हमारे पास कुछ नहीं बचा, लेकिन आपके आने से हिम्मत मिली है."
तबाही की अनदेखी तस्वीरें
आज तक की टीम ने ऐसे दृश्य कैमरे में कैद किए हैं जो अब तक किसी ने नहीं देखे. बाढ़ में बहती सड़कें, मलबे में दबे मंदिर के शिखर, और उन चेहरों की ख़ामोशी जो सब कुछ खो चुके हैं.