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UP में अब नहीं मिलेगा 'यश भारती सम्मान', CM योगी ने की नए पुरस्कार की शुरुआत

यश भारती सम्मान उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए जाना वाला सर्वोच्च सम्मान है. ये पुरस्कार साहित्य, समाजसेवा, पत्रकारिता, चिकित्सा, संस्कृति जैसे कई अन्य क्षेत्रों में योगदान के लिए दिया जाता है. साल 1994 में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान मुलायम सिंह यादव ने यश भारती पुरस्कार योजना की शुरुआत की थी.

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यश भारती सम्मान, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए जाना वाला सबसे बड़ा सम्मान है.
यश भारती सम्मान, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए जाना वाला सबसे बड़ा सम्मान है.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यश भारती सम्मान की शुरुआत मुलायम सिंह ने की थी
  • मायावती द्वारा बंद कर दिए जाने पर अखिलेश ने दोबारा शुरू किया
  • अब योगी इसकी जगह 'राज्य संस्कृति पुरुस्कार' की शुरुआत कर रहे हैं

उत्तर प्रदेश सरकार यश भारती पुरस्कार योजना की तर्ज पर एक नए पुरस्कार को शुरू करने जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इच्छानुसार यूपी सरकार की तरफ से कलाकार, समाजसेवी, संस्कृति कर्मी और बुद्धजीवियो का सम्मान करने के लिए एक पुरस्कार की शुरुआत की जा रही है.

यूपी के योजना विभाग द्वारा इस पुरस्कार का नाम भी तय कर लिया गया है. इस नए पुरस्कार को ‘राज्य संस्कृति पुरस्कार’ के नाम से जाना जाएगा. विभाग की योजना के अनुसार ये पुरस्कार कुल 25 लोगों को प्रदान किया जाया करेगा. इस योजना में सबसे बड़ा पुरस्कार 5 लाख रुपये का होगा, जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर दिया जाएगा.

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यश भारती सम्मान, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए जाना वाला सर्वोच्च सम्मान है. ये पुरस्कार साहित्य, समाजसेवा, पत्रकारिता, हस्तशिल्प, चिकित्सा, संस्कृति, शिक्षण, संगीत, फिल्म, विज्ञान, नाटक, खेल, उद्योग और ज्योतिष आदि के क्षेत्र में योगदान करने के लिए दिया जाता है.

साल 1994 में समाजवादी सरकार के दौरान सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव की पहल पर यश भारती पुरस्कार योजना की शुरुआत हुई थी. पहले इस पुरस्कार की राशि एक लाख रुपये हुआ करती थी. साल 2006 में मायावती की बसपा सरकार आने के बाद इन पुरस्कारों को बंद कर दिया गया.

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साल 2012 में सपा सरकार आने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पहल पर ये पुरस्कार फिर से साल 2015 में शुरू किए गए थे. इस बार पुरस्कार की राशि बढ़ाकर 11 लाख रुपये कर दी गई. साथ ही साथ पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति को आजीवन 50 हज़ार रुपये पेंशन दिए जाने का भी प्रावधान किया गया. लेकिन नए पुरस्कारों में सबसे बड़ी राशि केवल 5 लाख रुपये की होगी, जोकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर दी जाएगी.

इसके अलावा राज्य संस्कृति पुरस्कार में राशि 2 लाख रुपये रखी जाएगी. इसके लिए राज्य के संस्कृति विभाग ने अगले वित्त वर्ष के लिए बजट का प्रावधान करने के लिए प्रस्ताव भी भेज दिया है.

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