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UP: दनादन मुक्कों के दम पर गोल्ड लाएगा किसान का ये बेटा, सेना से बॉक्सर बनने का ऐसा रहा सफर

बॉक्सर सतीश यादव को बचपन से ही कबड्डी और कुश्ती जैसे खेलों का शौक था. सतीश का यही जुनून उन्हें बॉक्सिंग की ओर ले गया. 12वीं पास करने के बाद सतीश का चयन आर्मी में हो गया. वे रानीखेत पहुंचे, यहां उनके कोच ने उनका शरीर देखकर यह समझ लिया कि वे बॉक्सिंग में काफी आगे जा सकते हैं. इसके बाद सतीश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

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 boxer satish yadav
boxer satish yadav
स्टोरी हाइलाइट्स
  • Olympics में इस बार भारत से 126 एथलीट लेंगे हिस्सा
  • बुलंदशहर के रहने वाले बॉक्सर सतीश यादव पर टिकी निगाहें

टोक्यो Olympics में इस बार भारत से 18 खेलों में 126 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे. इन्हीं में से एक उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में रहने वाले बॉक्सर सतीश यादव भी हैं. सतीश सिकन्दराबाद के पचौता गांव के रहने वाले हैं. उनके परिवार, गांव, जिला और शहर के लोगों को उम्मीद है कि सतीश अपने मुक्कों के दम पर टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड जीतेंगे. 

बॉक्सर सतीश यादव को बचपन से ही कबड्डी और कुश्ती जैसे खेलों का शौक था. सतीश का यही जुनून उन्हें बॉक्सिंग की ओर ले गया. 12वीं पास करने के बाद सतीश का चयन आर्मी में हो गया. वे रानीखेत पहुंचे, यहां उनके कोच ने उनका शरीर देखकर यह समझ लिया कि वे बॉक्सिंग में काफी आगे जा सकते हैं. इसके बाद सतीश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 

पिता आर्मी की नौकरी छोड़कर खेती कर रहे
सतीश के पिता किरणपाल आर्मी में थे. लेकिन वे अपने पिता के अकेले थे. इसलिए जल्दी नौकरी छोड़कर वापस लौट आए और खेती में जुट गए. उन्होंने अपने चारों बेटों की परवरिश की. किसी को कोई कमी नहीं होने दी. किरणपाल के मुताबिक, यह उनकी मेहनत और बेटों की लगन का ही नतीजा है कि सतीश इस मुकाम तक पहुंचे हैं. 

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तीसरी बार पक्का किया ओलंपिक का टिकट
सतीश को तीसरी बार ओलंपिक का टिकट मिला है. सतीश इस बार 91 किलोग्राम भार कैटेगरी में खेलते नजर आएंगे.  गांव, परिवार और देश के लोगों को पूरी उम्मीद है कि सतीश इस बार पदक लेकर ही आएंगे. 

राष्ट्रीय खेलों में जीत चुके पदक 
सतीश ने 2014 में राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लिया था. उन्होंने कांस्य पदक जीता था. 2018 में वे राष्ट्रीय खेलों में 90 किलोग्राम भार में फाइनल मुकाबले में गोल्ड मेडल से चूक गए थे और उन्हें सिल्वर से संतोष करना पड़ा था. 

 

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