अगर पहली अक्टूबर को सीबीआई की विशेष अदालत कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पश्चिमी यूपी के कद्दावर मुस्लिम नेता रशीद मसूद को सजा सुनाती है तो उन्हें सांसदी से हाथ धोना पड़ सकता है. एमबीबीएस सीटों के 22 साल पुराने घोटाला मामले में मसूद समेत 16 लोगों को सीबीआई की विशेष अदालत ने 19 सितंबर को दोषी करार दिया है.
सांसदों-विधायकों के दोषी करार होते ही अयोग्य माने जाने के फैसले के बाद पहली अक्टूबर को सीबीआई की विशेष अदालत के निर्णय पर सबकी निगाहें टिक गई हैं.
मसूद को जिन धाराओं में अदालत ने दोषी करार दिया है उसमें सात वर्ष की सजा हो सकती है. ऐसी स्थिति में वह संसद सदस्य के तौर पर अयोग्य होने के फैसले की जद में आ जाएंगे.
करीब चार दशक से सहारनपुर और आसपास की मुस्लिम राजनीति में खासा दखल रखने वाले रशीद मसूद इस वक्त कठिन दौर से गुजर रहे हैं. इनका कुनबा बिखर रहा है.
पिछले हफ्ते मसूद के भतीजे और खास सिपहसालार इमरान मसूद ने इनसे नाता तोड़कर समाजवादी पार्टी (सपा ) की राह पकड़ ली थी. मसूद अपने बेटे शाजान मसूद का राजनीतिक भविष्य संवारने में लगे हैं लेकिन सफलता नहीं मिल रही. शाजान को ज्यादा तवज्जो देने पर मसूद के कई साथी इनसे नाराज चल रहे हैं.
लोकदल और जनता पार्टी से राजनीति शुरू करने वाले रशिद मसूद लंबे समय तक सपा में रहे. 2011 में इन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया और अप्रैल 2012 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए. वे फिलहाल केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के अधीन एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट प्रोमोशन अथारिटी के चेयरमैन हैं. उनका दर्जा राज्यमंत्री के स्तर का है.