केन्द्रीय ग्राम्य विकास मंत्री जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा कि केन्द्र संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) में पारदर्शिता का पता लगाने के लिये इस साल से नरेगा का नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक (कैग) से ऑडिट कराया जा रहा है और अगले साल के शुरू तक इसकी रिपोर्ट आ जाएगी.
रमेश ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात से पहले संवाददाताओं से बातचीत में बताया कि सरकार ने इस साल से नरेगा का कैग से ऑडिट की शुरुआत की है और अगले साल 31 जनवरी तक इसकी रिपोर्ट आ जाएगी, जो राज्यवार भी होगी. उन्होंने कहा कि देश में पहली बार ग्राम पंचायतों में भी नरेगा के लिये आए और खर्च हुए धन का सनदी लेखाकार (चार्टर्ड अकाउंटेंट) से ऑडिट कराया जाएगा.
राज्यों से कहा गया है कि वे हर जिले में नरेगा के लिहाज से सबसे ज्यादा खर्च वाली 12 ग्राम पंचायतों को चुनें और बाहर से चार्टर्ड अकाउंटेंट बुलाकर आडिट कराएं. नरेगा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के मामले में उत्तर प्रदेश को बिहार और राजस्थान से भी पिछड़ा होने का जिक्र करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि वे अगले साल मार्च तक नरेगा के तहत काम करने वाली महिलाओं की संख्या कुल मजदूरों की एक तिहाई सुनिश्चित करने का लक्ष्य लेकर काम करें.
रमेश ने कहा कि वह मुख्यमंत्री को नरेगा के तहत काम के मानदंड तय करते वक्त आधे काम महिलाओं के लिये आरक्षित करने का सुझाव देंगे. उन्होंने उत्तर प्रदेश में नरेगा के लिये धन की कमी के दावों को गलत करार देते हुए कहा कि कभी-कभी काम और धन के बीच असंतुलन उत्पन्न हो जाता है. इससे निपटने के लिये उन्होंने राज्य के ग्राम्य विकास मंत्री अरविंद सिंह गोप को महाराष्ट्र मॉडल अपनाने का सुझाव दिया है.
नरेगा के कारण खेतिहर मजदूरों की कमी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 70 प्रतिशत काम ऐसे वक्त में होता है जब खेती-किसानी के काम नहीं होते. रमेश ने कहा कि दरअसल नरेगा की वजह से न्यूनतम मजदूरी बढ़ रही है, इससे बड़े किसानों को खेतिहर मजदूरों को भी मजबूरन उसी दर से मजदूरी देनी पड़ती है. इससे वे परेशान हैं. इसीलिये गलत बातें कही जा रही हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा देश में करायी जा रही आर्थिक-सामाजिक जाति जनगणना का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. हालांकि झारखंड, मणिपुर, बिहार तथा उत्तर प्रदेश में अलग-अलग कारणों से यह काम धीमी गति से हो रहा है. रमेश ने उम्मीद जतायी कि जुलाई 2013 तक सरकार गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले लोगों की नयी सूची तैयार करने की स्थिति में होगी.