लोकसभा चुनाव की आहट के साथ राजनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में राजनेताओं के पाला बदलने का खेल शुरू होने जा रहा है. कुछ राजनेता टिकट कटने के कारण, तो कुछ ने अपने वर्तमान दल से हार की आशंका के चलते दूसरे दलों में ठौर तलाशना शुरू कर दिया है.
उत्तर प्रदेश में कई ऐसे सांसद हैं जो अपने वर्तमान दल से दोबारा जीत की उम्मीद नहीं रख रहे हैं. ऐसे में उन्होंने दूसरे दलों का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया है. कई ऐसे सांसद हैं, जिनके लिए उनके दलों ने ही मान लिया है कि वे इस बार अपनी सीट नहीं निकाल पाएंगे. अपना टिकट कटने की आशंका में ये सांसद दूसरे दलों से अपना रिश्ता कायम करने की कोशिश में लग गए हैं.
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समाजवादी पार्टी (सपा) से टिकट कटने के बाद बुंदेलखंड के एक सांसद ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ पुराने रिश्तों में गर्माहट लाने की पहल की है. उन्होंने कुछ दिन पहले बसपा के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर अपनी मौजूदा सीट से टिकट की दावेदारी की है. सपा ने यहां से मौजूदा सांसद का टिकट काटकर पूर्व सांसद को प्रत्याशी बनाया है.
सपा से टिकट कटने के बाद दूसरे दल से टिकट का जुगाड़ करने में लगे इस नेता ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि उन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव जीता और इस बार भी उन्हीं की जीत की प्रबल संभावना है. कार्यकर्ता भी पक्ष में हैं, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने अनदेखी करके उनका टिकट काट दिया. उनके समर्थकों और आम लोगों की मांग है कि वे चुनाव लड़ें. समर्थकों की इच्छा का सम्मान करने के लिए वे चुनावी मैदान में उतरेंगे.
गांधी परिवार के दबदबे वाले इलाके के एक कांग्रेसी सांसद के बारे में कहा जा रहा है कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दरवाजा खटखटा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक इन सांसद महोदय ने पहले सपा से सम्पर्क साधा था, लेकिन वहां से उन्हें न का जवाब मिला तो उन्होंने अपने पुराने घर भाजपा का दरवाजा खटखटाया. भाजपा में उनके लिए हां तो कर दी जाती, लेकिन उसी इलाके से पार्टी अपने फायर ब्रांड नेता वरुण गांधी को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है. इस वजह से अभी कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है. उन्हें आस-पास की किसी दूसरी सीट से लड़ाया जा सकता है.
सपा के टिकट पर बरेली की आंवला लोकसभा सीट से पिछला लोकसभा चुनाव लड़ने वाले नेता का जब उनकी पार्टी ने इस बार टिकट काट दिया तो उन्होंने अपने दल का दामन छोड़ने का ऐलान कर भाजपा से पींगे बढ़ानी शुरू कर दी हैं. इस नेता को आंवला से भाजपा का टिकट मिलना तय माना जा रहा है, क्योंकि आंवला से वर्तमान सांसद मेनका गांधी की अपनी परम्परागत सीट पीलीभीत से मैदान में उतरने की चर्चाएं हैं.
बुंदेलखंड के एक कांग्रेसी विधायक भी लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन आला कमान द्वारा टिकट न दिए जाने के मिल रहे संकेतों के बाद उन्होंने सपा नेतृत्व से सम्पर्क साधा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा और हाथरस से राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के वर्तमान सांसदों को लगता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में वे अपनी पार्टी के टिकट पर जीत नहीं दर्ज कर पाएंगे. इसलिए उन्होंने सपा का दामन थाम लिया.
इनमें से एक महिला सांसद को तो सपा ने टिकट देने का ऐलान कर भी दिया है. प्रदेश कांग्रेस के नेता सुबोध श्रीवास्तव कहते हैं कि पार्टी नेतृत्व किसी वर्तमान सांसद का टिकट काटने से पहले विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के साथ पांच साल में उस नेता द्वारा किए गए विकास कार्यों को लेकर स्थानीय नेताओं से विचार-विमर्श करता है.
यह बात सच है कि हर राजनीतिक दल ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना चाहता है, ऐसे में वह उस नेता को दोबारा उम्मीदवार क्यों बनाएगा जो पांच साल जनता के बीच गया ही नहीं और उसकी जीत की संभावनाएं कम हैं. राजनीतिक विश्लेषक एच एन दीक्षित कहते हैं कि आज कल नेताओं में राजनीतिक प्रतिबद्धता का अभाव देखा जा रहा है. इसीलिए अपने निजी स्वार्थ के लिए उन्हें दलबदल करने में कोई परहेज नहीं रहता.