यूपी के मुजफ्फरनगर और शामली में हिंसा भड़कने के बाद बेघर होकर राहत शिविरों में रह रहे हजारों लोग अभी भी अपने गांव लौटने पर जान का खतरा जता रहे हैं. वहीं खाप के चौधरियों (मुखिया) ने ऐसे लोगों से अपील की है कि वे सभी घर लौट आएं. गांवों में किसी को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी. वे सुरक्षा की गारंटी ले रहे हैं.
मुजफ्फरनगर सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में जाट समुदाय की कई प्रभावी पंचायतें हैं, जिन्हें खाप कहा जाता है. इनमें बालियान खाप, धनकड़ खाप, कालखंडे खाप, रमाला चौहान खाप, बत्तीसा खाप प्रमुख हैं.
बालियान खाप के प्रमुख व भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा, 'हमारे हजारों भाई अपने घर छोड़कर अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं. इसका हमें बहुत दुख है. हम समझा-बुझाकर लगातार विस्थापित भाइयों और उनके परिवारों को वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं. इस सर्दी में उनका जीवन बहुत ही कष्टकारी है.'
टिकैत ने कहा, 'हम सुरक्षा की पूरी गारंटी ले रहे हैं. सभी विस्थापित भाइयों को आश्वासन देते हैं कि उन्हें कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी. सारे लोग राहत शिविर छोड़कर अपने-अपने घर लौटें.'
विगत सितंबर में भड़की हिंसा के कारण मुजफ्फरनगर और शामली में करीब 50,000 लोग बेघर हुए थे. इनमें अधिकांश मुस्लिम थे.
बत्तीसा खाप के प्रमुख चौधरी बाबा सूरजमल ने कहा, 'हिंसा में किसी एक वर्ग का नहीं, बल्कि दोनों समुदायों का नुकसान हुआ है. हमारी अपील है कि शिविरों में रह रहे लोग वापस अपने घरों में आकर रहें. उन्हें सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं करना चाहिए. हिंदू-मुस्लिम प्यार से रहेंगे.'
हिंसा के करीब 100 दिन बीतने के बाद अभी भी मुजफ्फरनगर और शामली जिलों के राहत शिविरों में तकरीबन 4,500 लोग राहत शिविरों में रहे हैं.
कालखंडे खाप के प्रमुख चौधरी संजय कालखंडे कहते हैं, 'हिंसा के बाद हमारे और आस-पास के गांवों के सैकड़ों लोग राहत शिविरों में रहने चले गए थे, लेकिन हम कई लोगों को वापस उनके घरों में ले आए हैं.'
कालखंडे ने कहा कि शिविरों से लोगों का आना जारी है. कई लोग मुआवजे के कारण शिविरों में ठहरे हुए हैं.
शाहपुर कस्बे के ईदगाह में लगे राहत शिविर के विस्थापितों का कहना है कि वापस घर जाने को लेकर मन में जानमाल का डर तो है, लेकिन पुनर्वास और मुआवजा राशि न मिलने तक वे किसी भी हाल में वापस घर नहीं जाएंगे.
काकड़ा गांव निवासी गुड्डू और शाहजाद ने कहा कि वे गांव में अपने परिवारों के साथ अलग रह रहे थे. उनके राशन कार्ड भी अलग हैं. प्रशासन की गलत नीतियों के चलते उन्हें मुआवजा नहीं मिल सका.
उधर, राज्य प्रशासन प्रयास कर रहा है कि लोग अब अपने घरों को वापस लौट जाएं. अधिकारियों का दावा है कि मुआवजे का वितरण अब पूरा हो चुका है. बेघर लोगों को वापस लौट जाना चाहिए.
शामली के जिलाधिकारी पीके सिंह ने कहा कि शिविरों में रह रहे लोगों को उनके घर वापस भेजे जाने का प्रयास हो रहा है. विस्थापितों से लगातार बातचीत जारी है. प्रशासन पीड़ितों की हर संभव मदद कर रही है.