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अयोध्या: इस स्वतंत्रता सेनानी के नाम समर्पित होगी मस्जिद, वक्फ बोर्ड और IICF करेगा ऐलान

फाउंडेशन के प्रवक्ता अतहर हुसैन के मुताबिक ट्रस्ट ने सैद्धांतिक तौर पर ये तय कर लिया है कि मस्जिद को किसी भी मुगल बादशाह के साथ नहीं जोड़ा जाएगा. इसी विचार पर का आगे बढ़ाते हुए जनता से सुझाव मांगे गए. हजारों सुझावों में इस सुझाव पर सर्व सहमति बन गई है. शीघ्र ही इसका औपचारिक ऐलान होने की उम्मीद है. 

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अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का डिजाइन. (फाइल फोटो)
अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का डिजाइन. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अहमदुल्ला शाह को समर्पित होगी अयोध्या की मस्जिद
  • दिसंबर में ही तैयार कर लिया गया था डिजाइन
  • मस्जिद को किसी मुगल बादशाह के साथ नहीं जोड़ा जाएगा

अयोध्या जिले के धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद देश के प्रथम स्वाधीनता संग्राम यानी गदर के सेनानी मौलवी अहमदुल्ला शाह को समर्पित किये जाने की तैयारी है. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है. 

फाउंडेशन के प्रवक्ता अतहर हुसैन के मुताबिक ट्रस्ट ने सैद्धांतिक तौर पर ये तय कर लिया है कि मस्जिद को किसी भी मुगल बादशाह के साथ नहीं जोड़ा जाएगा. इसी विचार पर आगे बढ़ते हुए जनता से सुझाव मांगे गए. हजारों सुझावों में इस सुझाव पर सर्व सहमति बन गई है. शीघ्र ही इसका औपचारिक ऐलान होने की उम्मीद है. 

हुसैन के मुताबिक इतिहास में दर्ज है कि 1857 में हुए विद्रोह यानी क्रांति में अवध के क्रांतिकारी मौलवी अहमदुल्ला शाह ने अहम भूमिका निभाई थी. अवध में क्रांति की मशाल थामे मौलवी 'फैजाबादी' ने सशस्त्र बागियों के दल की अगुआई पर गोरी सेना को रौंदते हुए पांच जून 1858 को शहादत दी थी. फिरंगी सेना के अधिकारियों ने अपनी किताबों में भी मौलाना की संगठन क्षमता और जुझारूपन का जिक्र किया है.

मौलाना ने फैजाबाद में मस्जिद सराय को बागियों की क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र बनाया. झांसी की रानी, नाना साहब, वीर कुंवर सिंह, बेगम हज़रत महल आदि स्वतंत्रता सेनानियों के कंधे से कंधा मिलाकर अपनी टोली के साथ फिरंगी सेना पर टूट पड़े थे. ट्रस्ट के मुताबिक पिछले साल दिसंबर में मस्जिद के डिजाइन को मंजूरी मिल गई. लखनऊ के प्रसिद्ध वास्तुकार प्रोफेसर एस एम अख्तर ने इसका डिजाइन पारम्परिक और आधुनिक वास्तुकला के संगम की तर्ज पर तैयार किया है.

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पारम्परिक इस्लामिक वास्तुकला और स्थापत्य के मुताबिक गोल या प्याज के आकार वाले गुंबद, सीधी मीनार और घुमावदार कटावदार मेहराब वाली मस्जिद से अलग हटकर ये वृत्ताकार डिजाइन भविष्य की ओर देखता हुआ लगता है. यानी इसका डिजाइन खाड़ी देशों की आधुनिकतम मस्जिदों से मुकाबला करने में सक्षम होगा .गोलाकार मस्जिद में एकसाथ दो हज़ार नमाज़ी नमाज़ अदा कर सकेंगे. महिला नमाजियों के लिए अलग हिस्सा होगा.

पांच एकड़ भूखंड के बीचोबीच अस्पताल, मस्जिद के साथ कुतुबखाना यानी पुस्तकालय, शैक्षिक, सांस्कृतिक रिसर्च सेंटर और सामूहिक रसोई यानी बावर्चीखाना भी होगा.डिजाइन और नक्शा अयोध्या विकास प्राधिकरण से मंजूर होने का बाद उसके मुताबिक निर्माण शुरू होगा. लेकिन मस्जिद निर्माण की औपचारिक शुरुआत गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र ध्वज फहराने और नौ न्यासियों के हाथों नौ पौधे रोपकर की जाएगी.

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