गुजरात में जैसे ही नरेंद्र मोदी के ‘हैट्रिक’ जमाने और राहुल गांधी की कांग्रेस में दूसरे स्थान पर ताजपोशी के बाद ऐसा लगने लगा है कि 2014 का आम चुनाव राहुल बनाम मोदी होगा.
2014 के आम चुनाव में देश को दो सबसे बड़ी पार्टियां भिड़ेंगी तो हो सकता है कि ये मुकाबला नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी का हो जाए.
कुछ दिनों पहले हमने आपके सामने ‘एक मिनट में चुनें अपना प्रधानमंत्रीः भारत के अगले प्रधानमंत्री पद के ज्यादा करीब कौन?’ विषय पर राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी से जुड़े 10 सवाल पूछे थे.
आप सभी ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और अपने पसंद के उम्मीदवार को जम कर वोट दिया. अब वक्त है नतीजे का... तो देखिए किसे क्या मिला...
मोदी ने गुजरात में हैट्रिक मार कर अपना लोहा मनवाया है, वहीं राहुल गांधी तमाम कोशिशों के बाद भी अभी तक खुद को साबित नहीं कर सके हैं. गुजरात में मोदी ने अपनी छवि विकास पुरुष के तौर पर बनाई है, राहुल गांधी भी अपने तरीके से विकास की बात करते हैं.
नरेंद्र मोदी बड़े राजनीति रणनीतिकार है. वो दबंग स्टाइल में राजनीति करते हैं. पार्टी के बाहर ही नहीं पार्टी के भीतर भी वो अपने विरोधियों को सिर नहीं उठाने देते. गुजरात चुनाव के ठीक पहले उन्होने संजय जोशी को जिस तरह से बाहर का रास्ता दिखवा दिया. ये उनकी राजनीति का एक तरीका है.
विकास का उन्होंने अपना मॉड्यूल तैयार किया है. बात वाइब्रेंट गुजरात की हो या फिर नैनो प्लांट को सिंगूर से दिल्ली लाने की बात हो, नरेंद्र मोदी मौके पर चौका मारना जानते हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि उनका अपना एक जनाधार है.
वहीं राहुल गांधी लगातार अपने संगठन के लिए काम कर रहे हैं. राहुल गांधी भी लंबी रणनीति के तहत काम करते हैं. सरकार में कोई भी बड़ा पद लेने के बदले वो संगठन को सींचने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस संगठन को काफी हद तक ऑर्गनाइज किया है. अभी पार्टी के चुनाव समिति की जिम्मेदारी उन पर है राहुल गांधी लगातार यात्रा करते हैं. लोगों के बीच जाते हैं. वो भीड़ खींचने में माहिर हैं, लेकिन सवाल ये है कि उन्हें देखने और सुनने के लिए इकट्ठी होने वाली भीड़ वोट में कितना तब्दील होती है.
अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि 2014 के आम चुनाव से पहले भारत में प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवारों को लेकर बहस जोर पकड़ रही है और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच सीधा मुकाबला हो सकता है.
केंद्र की राजनीति की ओर बढने से पहले मोदी की राह में उन्ही की पार्टी की ओर से कई रोड़े हैं, अभी तक ये भी तय नहीं हो पाया है कि 2014 में कांग्रेस राहुल गांधी को पीएम के तौर पर पेश करेगी या नहीं, लेकिन अगर ऐसा होता है तो मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा.