इंडिया टुडे कॉनक्लेव साउथ के समापन सत्र में पुदुच्चेरी की लेफ्टिनेंट गवर्नर किरन बेदी, सीबीएफएसी की पूर्व चेयरमैन लीला सैमसन, एक्टर एवं डायरेक्टर सुहासिनी मणिरत्नम, एक्टर एवं कांग्रेस प्रवक्ता खुशबू सुंदर, द न्यूज मिनट की एडिटर इन चीफ धन्या राजेंद्रन और आर जे बालाजी शामिल हुए. इस सत्र में बंगलुरु की घटनाओं के बाद महिलाओं की सुरक्षा, महिला-पुरुष भेद तथा तमिलनाडु की जलीकट्टू प्रथा पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए जाने वाले प्रतिबंध पर खुलकर चर्चा हुई. महिलाओं की सुरक्षा के मामले में ज्यादातर वक्ताओं की राय यही थी कि उत्तर भारत हो या दक्षिण महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं और महिलाओं से भेदभाव हर जगह होता है.
महिला सुरक्षा और भेदभाव
लीला सैमसन
दक्षिण भारत में खुले दिमाग के लोग हैं. लेकिन कहीं भी, कोई भी लड़की पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है. इसका सामना हमें करना होगा.
किरण बेदी
लड़कियों को पीछे हटने, जबकि लड़कों को आगे बढ़ने की सीख दी जाती है. महिलाएं सही पालन-पोषण मिलने पर शीर्ष पर पहुंच रही हैं, स्वाभाविक रूप से नहीं. जहां भी पैरेंट अवसर दे रहे हैं, महिलाएं उभर रही हैं. पांडिचेरी में दिल्ली की तुलना में महिलाएं ज्यादा सुरक्षित हैं और शांति से रहती हैं. यहां घरेलू हिंसा कम है. सिर्फ साक्षरता से कुछ नहीं होता है. महिलाओं मे साहस बढ़ना चाहिए, शिक्षित होने का मतलब यह नहीं कि कोई प्रोग्रेसिव भी हो. केरल, पुदुच्चेरी में ज्यादा साक्षरता है, लेकिन महिला राजनीतिज्ञ कहां हैं?
धन्या राजेंद्रन
इस मामले में दक्षिण उत्तर जैसा कोई विभाजन नहीं है, यह रवैए की बात है. बंगलुरु की कहानी को मीडिया द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया. लड़कियों को छेड़ना कुछ लोगों के लिए फन है, नए साल में शराब पीकर तमाम लोग ऐसे फन करते हैं.
सुहासिनी मणिरत्नम
100 साल की परंपरा को परिवार को कोई एक व्यक्ति भी तोड़ सकता है. जहां तक सुरक्षा की बात है, महिलाओं को ही हमेशा सचेत रहने को कहा जाता है. लोग कहते हैं, स्कर्ट मत पहनो, रात में बाहर मत जाओ...महिलाओं से फिल्म इंडस्ट्री में भेदभाव होता है, पैसा मिलने में बहुत अंतर है.
खुशबू
राजनीति में निश्चित रूप से पुरुष प्रधानता है, लेकिन महिलाओं को इस क्षेत्र में उतरने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. लेकिन महिलाओं के लिए राजनीति आसान नहीं होता, इसमें काफी समय देना पड़ता है, महिलाओं को परिवार का सपोर्ट नहीं मिलता.
जलीकट्टू पर मिली-जुली राय
खुशबू
हमें इसकी जरूरत है. इसके बारे में उत्तर भारत में गलत धारणा है. यह बुल फाइटिंग नहीं बल्कि बुल इम्ब्रेसिंग है. इसके बारे में गांव के लोग ही सही निर्णय ले पाएंगे, जो इससे वास्तव में जुड़े हैं.
सुहासिनी मणिरत्नम
यह खेल पुरुष प्रधान भी है. मैं जानवरों के अधिकार और मानवाधिकार में विश्वास करती हूं, इसलिए मैं इसे पसंद नहीं करती.
लीला सैमसन
संस्कृति से जुड़े एक व्यक्ति होने की वजह से मैं परंपराओं में विश्वास करती हूं, लेकिन मैं जानवरों के अधिकार की भी वकालत करती हूं. मुझे लगता है कि इसमें क्रूरता है, इसलिए मैं इसे देखना पसंद नहीं करूंगी.
धन्या राजेंद्रन
पूरी तरह से रोक लगाने की जगह इसके बारे में बात होनी चाहिए, कुछ अंकुश लगाकर इसे जारी रखा जा सकता है.
आर जे बालाजी
सुप्रीम कोर्ट हमें निशाना बना रहा है. यह सैकड़ों साल की हमारी पंरपरा है. इसे कुछ नियम-कायदे बनाकर जारी रखना चाहिए.
किरण बेदी
जलीकट्टू को मैंने सिर्फ टीवी पर देखा है. यह परंपरा है, लेकिन इसमें क्रूरता है तो इसे बंद नहीं करना चाहिए.