पाकिस्तान में चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार सिर्फ सत्ता का मुखौटा भर है. असली ताकत तो अब भी फौज के हाथ में है और वो हाथ आतंकवाद को शह देने में लगा है. पाकिस्तानी सत्ता के इस पाखंड को भारत ने बेनकाब कर दिया है. अमेरिका में प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा है कि पाकिस्तान में किसकी सत्ता है यह तय कर पाना मुश्किल है.
पाकिस्तान की ये ऐसी हकीकत है जिसे सारी दुनिया जानती है, लेकिन कबूल नहीं करना चाहती है, लेकिन भारत पाकिस्तानी सत्ता के इस दोहरे चरित्र के साथ समझौता करने को तैयार नहीं है. अमेरिका दौरे पर गए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के इस दोहरेपन को दुनिया के सामने बेनकाब कर दिया है.
एक इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि भारत के लिए ये तय कर पाना मुश्किल हो रहा है कि आखिर पाकिस्तान में किससे बात की जाए. पाकिस्तान में किसकी सत्ता है ये तय कर पाना मुश्किल है. हकीकत तो यह है कि वहां फौज सबसे ताकतवर है जो कि आतंकवाद के खात्मे में सबसे बड़ा रोड़ा है.
मुंबई हमले की जांच का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि शर्म-अल-शेख में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कार्रवाई का भरोसा दिलाया था, लेकिन उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाया. जाहिर है पाकिस्तान में चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार फौज के हाथों की कठपुतली है. ऐसे में आतंकवाद का खात्मा तब तक नहीं हो सकता, जबतक कि पाकिस्तान में आतंकवाद से लड़ने को प्रतिबद्ध एक ताकतवर सरकार नहीं बन जाती.