अगर आपका भी मानना है कि नाम में कुछ नहीं रखा, तो एक बार आपको मेघालय के इस गांव में आने की जरूरत है, यहां आकर आपको यकीन हो जाएगा कि नाम में वास्तव में कुछ नहीं रखा. मेघालय का यह गांव ऐसा है, जहां हर बच्चे को उसके नाम की जगह एक गाना गाकर पुकारा जाता है.
मेघालय के ईस्ट खासी हिल जिले के कोंगथोंग गांव में पीढ़ियों से बच्चों को किसी गाने विशेष से पुकाने जाने की परंपरा है. हर बच्चे के जन्म के समय उसके साथ एक गाना जोड़ दिया जाता है, जिससे उसे पूरी जिंदगी पुकारा जाता है.
कोंगथोंग गांव के मुखिया किरटाइड माजाव ने कहा, ‘‘अगर एक परिवार के 10 बच्चे हैं, तो उनके लिए 10 अलग-अलग गाने निर्धारित किए जाते हैं. गाना एक सेकंड से दो मिनट तक की अवधि का हो सकता है.’’
हालांकि बच्चों को इसके अलावा एक नाम भी दिया जाता है, पर इसका उपयोग उन्हें बुलाने में नहीं होता. यहां तक कि दूसरे लोग भी उनके नाम की जगह उन्हें गाने से ही पुकारते हैं.
कॉलेज के छात्र रोथेल खोंगसित इस परंपरा का पूरी तरह पक्ष लेते हुए कहते हैं, ‘‘जैसे ही गाना सुनते हैं, हम फौरन पहचान जाते हैं, किसके लिए गाया जा रहा है.’’ गांव में ऐसे कम से कम 500 लघुगीत प्रचलित हैं.{mospagebreak}
हालांकि लड़कियां अपने पुरूष साथियों को बुलाने के लिए इन गानों का उपयोग नहीं कर सकतीं. यह परंपरा यहां इतनी प्रभावी है कि भीड़ वाली जगह में किसी के खो जाने पर भी इसी का उपयोग करके उसे तलाशा जाता है.
गांव के एक शिक्षक इस्लोवेल खोंगसित ने बताया, ‘‘जब हम शिलांग जैसी भीड़ भरी जगह पर जाते हैं, अक्सर हमारे बच्चे खो जाते हैं. ऐसे में हम गाना गाकर उन्हें पुकारते हैं, तो वे लौट आते हैं.’’
इस परंपरा ने कई विदेशी शोधकर्ताओं को भी आकषिर्त किया है. ऐसे कई शोधकर्ता यहां आकर रुके हैं और उन्होंने इस परंपरा पर शोध किया है. इसमें जर्मन, जापानी और अमेरिकी शोधकर्ता भी शामिल हैं.
हालांकि यह अभी रहस्य बना हुआ है कि दूसरे खासी कबायली लोगों ने इस परंपरा को क्यों नहीं अपनाया है.