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बंगाल पंचायत चुनावः कई सीटों पर TMC उम्मीदवार निर्विरोध विजयी, विपक्ष ने बताया तमाशा

टीएमसी की इस जीत पर विपक्षी पार्टियों ने बड़े ही आक्रोश से पलटवार किया है. विपक्ष का आरोप है कि टीएमसी इन चुनावों को तोड़-मरोड़ रही है और दूसरी पार्टियों को लड़ने का मौका न देकर पूरी चुनावी प्रक्रिया को एक 'तमाशा' बना दिया है.

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ममता बनर्जी (फाइल)
ममता बनर्जी (फाइल)

पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग ने पंचायत चुनावों में सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के कई उम्मीदवारों को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया. इसमें बीरभूम जिला परिषद की 42 में से 41 सीटों पर टीएमसी के उम्मीदवार विजेता घोषित किए गए हैं. यही नहीं सत्ताधारी पार्टी 19 पंचायत समितियों में से 14 पर निर्विरोध विजेता घोषित की गई है. राज्य में 1, 3 और 5 मई को पंचायत चुनाव में वोट डाले जाएंगे.

बीरभूम के साथ मुर्शिदाबाद में भी टीएमसी ने 30 पंचायत समितियों में से 29 पर निर्विरोध जीत हासिल की है. भरतपुर द्वितीय में टीएमसी ने 21 पंचायत समितियों की सीट पर जीत हासिल की है. इसी तरह की कहानी बर्दवान में भी ममता बनर्जी की पार्टी ने दोहराई है, जहां उसने सभी 39 पंचायत समितियों की सीट पर अपनी पताका फहराई है.

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टीएमसी की इस जीत पर विपक्षी पार्टियों ने बड़े ही आक्रोश से पलटवार किया है. विपक्ष का आरोप है कि टीएमसी इन चुनावों को तोड़-मरोड़ रही है और दूसरी पार्टियों को लड़ने का मौका न देकर पूरी चुनावी प्रक्रिया को एक 'तमाशा' बना दिया है.

दूसरी ओर राज्य चुनाव आयोग ने सोमवार को जारी किए गए अपने आदेश को मंगलवार को रद्द कर दिया, जिसमें नामांकन भरने की तारीख को 10 अप्रैल तक के लिए बढ़ाया गया था.

अपने बयान में स्टेट इलेक्शन कमिश्नर एके सिंह ने कहा कि हमें लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही थी जिसमें चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों को नामांकन भरने से रोका जा रहा था. ऐसे में लोगों को मौका देने की खातिर नामांकन की तारीख को 10 अप्रैल तक बढ़ाया जा रहा है.

हालांकि दूसरी ओर इस संबंध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भी किसी तरह का हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में नामांकन भरने की अंतिम तारीख आगे बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा कि वह चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.

शीर्ष अदालत ने हालांकि, सभी उम्मीदवारों को इस मामले में राहत के लिए पश्चिम बंगाल निर्वाचन आयोग जाने की आजादी दी. न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति ए. एम. सप्रे की पीठ ने कहा, ‘‘हमने चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया है, लेकिन सभी उम्मीदवारों को जरूरी राहत के लिए राज्य निर्वाचन आयोग जाने की आजादी दी है.’’

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भाजपा ने छह मार्च को न्यायालय से कहा था कि पश्चिम बंगाल में ‘‘लोकतंत्र की हत्या’’ की जा रही है, क्योंकि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस व्यापक पैमाने पर चुनावी हिंसा में लिप्त है और आगामी पंचायत चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवारों को पर्चा दाखिल नहीं करने दे रही है.

भाजपा ने यह भी आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नियुक्त सहायक पंचायत चुनाव पंजीकरण अधिकारी भाजपा उम्मीदवारों को नामांकन का फॉर्म देने से इनकार कर रहा है. पश्चिम बंगाल भाजपा ने नामांकन पत्र ऑनलाइन उपलब्ध करवाने की मांग की थी.

बीजेपी के बीरभूम जिला अध्यक्ष रामकृष्ण रॉय ने कहा कि टीएमसी कार्यकर्ताओं ने बीजेपी उम्मीदवारों को धमकाकर नामांकन नहीं भरने दिया. ये परिणाम कोई चौंकाने वाले नहीं हैं. वे बिना चुनाव लड़े जीतना चाहते थे. इसलिए उन्होंने हमारे उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल नहीं करने दिया. हमारे एक उम्मीवार ने राजनगर सीट से अपना दाखिल कर दिया, इसलिए उसे छोड़कर टीएमसी ने सभी सीटों पर जीत हासिल की है.

बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा, 'ये जीत बम और बंदूक के कल्चर को दिखाती है, न कि लोगों की आकांक्षाओं को. उन्होंने लोगों को धमकाया है और अब दावा कर रहे हैं कि उन्होंने विकास के नाम पर जीत हासिल की है.'

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सीपीएम विधायक सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि टीएमसी ने ग्रामीण इलाकों में जीत हासिल नहीं की है, बल्कि उन पर कब्जा कर लिया है. विपक्षी पार्टियों को नामांकन नहीं भरने दिया है.

टीएमसी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अणुव्रत मंडल ने कहा, 'हमें आश्चर्य हो रहा है कि विपक्ष को चुनाव लड़ाने के लिए कोई उम्मीदवार नहीं मिला. उन्हें नामांकन दाखिल करने से किसी ने नहीं रोका. उनके पास लोगों का समर्थन नहीं है. यही कारण है कि उन्हें कोई उम्मीदवार नहीं मिला.'

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