आईएनएस विक्रांत. भारतीय जलसेना का वह एयरक्राफ्ट कैरियर युद्धपोत जिसने 1971 के युद्ध में दुश्मन को दहला दिया था, अब कबाड़ में तब्दील होने जा रहा है. इस शानदार जहाज को तोड़कर बेच दिया जाएगा.
एक अखबार के मुताबिक कभी भारत की शान कहा जाने वाला आईएनएस विक्रांत अलंग में तोड़ा जाएगा और फिर कबाड़ के भाव बेच दिया जाएगा. अलंग में ही पुराने जहाजों को तोड़कर बेचा जाता है. 213.3 मीटर लंबा यह विमान वाहक पोत जल्द ही भावनगर बंदरगाह पहुंचेगा.
केन्द्र सरकार ने इसकी नीलामी के लिए 3.1 करोड़ रुपये की रकम तय की थी लेकिन उसे उससे ज्यादा मिला है. इसमें 15,000 टन लोहा है. इसकी मरम्मत पर सरकार ने 22 करोड़ रुपये खर्च भी किए थे.
पिछले महीने बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका रद्द कर दी थी जिसमें कहा गया था कि वह सरकार को इसकी नीलामी से रोके. चीफ जस्टिस मोहित शाह और जस्टिस एमएस संकलेचा ने रक्षा मंत्रालय की इस दलील को मान लिया था कि यह पूरी तरह से असुरक्षित जहाज है और इसे संग्राहलय भी नहीं बनाया जा सकता. कई संगठन मांग कर रहे थे कि इसे युद्ध संग्राहलय बना दिया जाए. 1971 में इस जहाज ने कराची बंदरगाह पर बमबारी में जबर्दस्त भूमिका निभाई थी.