इराकी शहर मोसुल में मारे गए 38 भारतीयों के अवशेष भारत लाने वाले विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह की ओर से मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने के सवाल पर बिस्किट बांटने वाले बयान को लेकर बढ़े विवाद होने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए अपनी सफाई दी है.
वीके सिंह कल क्या बोले
सोमवार को मृतकों को मुआवजा देने को लेकर उनसे सवाल किया गया, जिसके जवाब में जनरल वीके सिंह ने कहा था, 'ये बिस्किट बांटने वाला काम नहीं है, ये आदमियों की जिंदगी का सवाल है. आ गई बात समझ में? मैं अभी ऐलान कहां से करूं? जेब में कोई पिटारा थोड़ी रखा हुआ है.' वह यहीं नहीं रुके, बल्कि मृतकों के परिवारों को नौकरी देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये फुटबॉल का खेल नहीं है.
फेसबुक से सफाई
फेसबुक पर मंगलवार शाम को अपने पोस्ट के जरिए सफाई देने की कोशिश की. इसका लिंक बाद में ट्विटर पर भी डाला. उन्होंने अपनी सफाई वाले पोस्ट की शुरुआत मीडिया और विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए की. उन्होंने लिखा कि संवेदनहीनता के नारे लग रहे हैं. मीडिया और राजनीतिक दलों के कुछ 'सूरमाओं' की मानें तो आरोप सिद्ध भी हो चुके हैं. पहले भी ऐसा हो चुका है. जनता अपने विवेक का प्रयोग करेगी और सत्य की विजय होगी.
वीके सिंह ने अपने विवादित बयान की रिकॉर्डंग की मांग करते हुए आगे लिखा, 'यह मेरा जिम्मा है कि अपना पक्ष आपके सामने रखूं. जिस वक्तव्य पर इतना बवाल हो रहा है, क्या कहीं वह इंटरव्यू पूर्ण स्वरूप में उपलब्ध है? मुझे तो नहीं मिला. हां, मेरे पास मेरे सहयोगियों द्वारा की गई प्रेस वार्ता की रिकॉर्डिंग जरूर है. क्या आरोप लगाने वाले वह इंटरव्यू उपलब्ध कराएंगे?' अपेक्षा यही है कि वे इतने दानवीर नहीं बनेंगे, अन्यथा यह विवाद यहीं समाप्त हो जाएगा. खैर, मैं अब आपको अवगत कराता हूं कि उस दिन क्या हुआ था. सप्रमाण खंडन का सर्वथा स्वागत है.
उन्होंने आगे कहा कि मोसुल से शव अवशेष भारत लाने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब दे रहा था, और यह भी बताया कि मुआवजे को लेकर सरकार सभी कारकों पर विचार-विमर्श करके ही फैसला लेगी. लेकिन कुछ लोगों को उनके बयान में कुछ खास नहीं मिला. बार-बार एक ही सवाल पूछा जा रहा था.
वीके सिंह ने कहा कि उन्हें खेद है कि बिना प्रसंग के एक कटा हुआ वीडियो आपको परोसा गया. दुःख है कि लोगों को इतनी स्वतंत्रता भी नहीं मिल पा रही कि वो अपने परिजनों और स्वदेश्वासियों की मृत्यु का शोक मना पाएं क्योंकि कुछ लोग अपनी दुकान किसी भी कीमत पर चलाना चाहते हैं. बिक्री योग्य समाचार और सरकार को घेरने के लिए मुद्दों की भूख कदाचित इस प्रकार के आचरण को प्रेरित कर रही है.
उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस पर भी वार किया. उन्होंने आरोप लगाया कि इलीगल एजेंट की जगह मृतकों को खबरों में इलीगल कहकर परिवारों की प्रक्रिया अखबार में छापी गई. उनके बारे में क्या कहा जाए.
केंद्र देगा हर परिवार को 10-10 लाख
मोसुल में मारे गए 38 भारतीय मजदूरों के परिवारों को केंद्र सरकार ने अब 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने का फैसला लिया है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ऐलान किया. इन भारतीयों के शव सोमवार को भारत लाए गए. सभी अवशेषों को विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह विशेष विमान से शव लेकर अमृतसर पहुंचे. मोसुल में जान गंवाने वालों में सबसे ज्यादा 27 लोग पंजाब के ही थे.
वहीं अमृतसर एयरपोर्ट पर पार्थिव अवशेष लेने पहुंचे राज्य के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने मृतकों के परिवारवालों को 5-5 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी. साथ ही ये भी कहा है कि हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी. मारे गए लोगों में 6 लोग बिहार के थे और वहां की सरकार ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया, हालांकि पीड़ित परिवारों का कहना है कि सरकार की तरफ से ये मदद नाकाफी है. उन्हें भी पंजाब सरकार की तरह से बिहार सरकार नौकरी दे.
आईएस ने 2014 में अगवा किया
इस दौरान केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने बताया कि डीएनए मैच करना काफी मुश्किल था. उन्होंने कहा कि इराक में 40 भारतीयों का कोई रिकॉर्ड नहीं था. शव का पता लगाने में इराक सरकार की मदद के लिए वीके सिंह ने उनका धन्यवाद किया. उन्होंने बताया था कि 38 लोगों के शव मिले, जबकि 39वें शव का डीएनए मैच किया जाना अभी बाकी है.
जून 2014 में उत्तरी मोसुल शहर पर कब्जा करने के तुरंत बाद आईएस ने इन मजदूरों को अगवा कर लिया था, जिसके बाद उनकी मौत को लेकर संशय बना हुआ था. 20 मार्च को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में इस बात की पुष्टि की थी कि सभी भारतीय जो अगवा किए गए थे, उनकी मौत हो गई है.