भगवान महादेव की नगरी वाराणसी का प्राचीन या पौराणिक नाम काशी है. यह हिंदू धर्म के पवित्रतम तीर्थों में एक माना जाता है.
वाराणसी में श्रद्धालुओं को सबसे ज्यादा लुभाता है काशी विश्वनाथ मंदिर, जो कि भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. जानकारी के मुताबिक यहां प्रतिवर्ष 10 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री आते हैं.
हिन्दू मान्यता के अनुसार गंगा नदी सबके पापों को धो डालती है. काशी में मृत्यु सौभाग्य से ही मिलती है. साथ ही यदि मृत्यु मिल जाये, तो आत्मा पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो कर मोक्ष पाती है. 51 शक्तिपीठ में से एक विशालाक्षी मंदिर यहां स्थित है, जहां भगवती सती की कान की मणिकर्णिका गिरी थी. वह स्थान मणिकर्णिका घाट के निकट स्थित है.
हिन्दू धर्म में शाक्त मत के लोग देवी गंगा को भी शक्ति का ही अवतार मानते हैं. जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने हिन्दू धर्म पर अपनी टीका यहीं आकर लिखी थी, जिसके परिणामस्वरूप हिन्दू पुनर्जागरण हुआ.
वाराणसी बौद्ध धर्म के पवित्रतम स्थलों में से एक है. काशी गौतम बुद्ध से संबंधित 4 तीर्थ स्थलों में से एक है. वाराणसी के मुख्य शहर से हटकर ही सारनाथ है, जहां भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन दिया था. इसमें उन्होंने बौद्ध धर्म के मूलभूत सिद्दांतों का वर्णन किया था.
इतना ही नहीं, काशी जैन धर्म को मानने वालों के लिए भी पवित्र तीर्थ है. इसे 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्म-स्थान माना जाता है. वाराणसी में गंगा के तट पर कई घाट हैं, जो हमेशा श्रद्धालुओं से भरे रहते हैं.