मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) को नोटिस जारी करते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की एक सीट खाली रखने के निर्देश दिये हैं.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आर. सी. सिन्हा और आलोक अराधे की खंडपीठ ने सागर की विनिता साहू की एक याचिका पर कल यह नोटिस जारी किया.
उल्लेखनीय है कि विनिता साहू की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2009-10 की यूपीएससी परीक्षा में उसकी 134वीं रैंक आयी थी और परीक्षा का कट ऑफ 131 पर गया था. विनिता का दावा था कि वह अन्य पिछड़ा वर्ग में आती है, लेकिन उसे जाति प्रमाण पत्र का लाभ यह कहकर नहीं दिया गया कि वह अन्य पिछड़ा वर्ग में होने के बावजूद क्रीमीलेयर के दायरे में है.
इस मामले में विनीता को सामान्य उम्मीदवार की श्रेणी में मानते हुए आईएएस के स्थान पर आईपीएस एलाट कर दिया गया.
याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2004 में सरकार द्वारा क्रीमीलेयर के संबंध में जारी किये गये परिपत्र में स्पष्ट किया गया था कि क्रीमीलेयर में वही परिवार माने जायेंगे, जिनकी वाषिर्क आय लगातार तीन साल तक 4.50 लाख रुपये से अधिक रही हो, लेकिन विनीता के पिता की एक साल ही आय साढे चार लाख रुपये हुई थी.
याचिका में यह भी कहा गया कि इस मामले में विनिता साहू ने राजस्व विभाग से जाति प्रमाणपत्र लेकर जब यूपीएससी के समक्ष पेश किया, तो उन्हें बताया गया कि अब साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और उन्हें जाति प्रमाणपत्र का लाभ नहीं दिया जा सकता.
अदालत ने उक्त याचिका के आधार पर यूपीएससी एवं राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए आईएएस की एक सीट खाली रखने के निर्देश दिये हैं.