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जानिए क्या कहते हैं एसी के सितारे...

जब गर्मी हदे पार कर दे तो एयर कंडीशनर के सितारे भी गर्दिश में हो जाते हैं. यानी 5 स्टार एसी की भी हालत पस्त हो जाती है. अगर तापमान 45 डिग्री से ऊपर चढ़े तो फाइव स्टार रेटेड स्प्लिट एसी वन स्टार जितनी ही बिजली खाने और खपाने लगता है.

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एसी
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जब गर्मी हदे पार कर दे तो एयर कंडीशनर के सितारे भी गर्दिश में हो जाते हैं. यानी 5 स्टार एसी की भी हालत पस्त हो जाती है. अगर तापमान 45 डिग्री से ऊपर चढ़े तो फाइव स्टार रेटेड स्प्लिट एसी वन स्टार जितनी ही बिजली खाने और खपाने लगता है. सेंटर फॉर साइंस एंड इनवॉयरनमेंट की रिसर्च ने ये बात सही साबित कर दी है कि गर्मी हमारी ही नहीं एसी की भी हवा खराब कर देती है.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता रायचौधरी की टीम के रिसर्च की ताजा जारी रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्च के दौरान इस बात की तस्दीक हुई है कि तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाते ही पांच सितारा रेटेड एसी दो सितारा रेटेड जितनी ही बिजली खपाने लगता है. तापमान का ग्राफ 45 छूए तो एक स्टार रेटेड जितनी. जबकि ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी यानी बीईई के मुताबिक पांच सितारे की रेटिंग वाला स्प्लिट एसी एक टू स्टार वाले एसी से 20 से 25 फीसदी कम बिजली खपाता है.

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ज्यादा गर्मी में घट जाती है एसी की कूलिंग क्षमता
रिसर्च में ये सच्चाई पता लगी है कि सितारों के इस दावे पर भी ऊपर कोने में एक छोटा सितारा लगा है जिसका मतलब दिया है टर्म्स एंड कंडीशनंस अप्लाई. यानी ये दावा तब सच होता है जब बाहर का तापमान 30 डिग्री के आसपास हो. तापमान 40 से 45 डिग्री सेल्सियस हो जाए तो ये पांच सितारे बेकाबू हो जाते हैं और दावे के मुकाबले 12 से 28 फीसदी ज्यादा बिजली खर्चने लगते हैं. कमरे की कूलिंग क्षमता भी 30 फीसदी तक घट जाती है. यानी डेढ टन का एसी उतनी ही ठंडक देता है मानों एक टन का हो. इतना ही नहीं इन पांच सितारा एयर कंडीशनर के ऊर्जा बचाने के दावों की पोल तब भी खुली जब तापमान 27 डिग्री से नीचे किया गया.

AC के तीन टेस्ट किए गए
सीएसई के मुताबिक नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्री यानी NABL की लैब्स में जांच कराई गई. सेंटर ने वोल्टास, गोदरेज और एलजी के स्प्लिट एसी को गुणवत्ता जांच के लिए भेजा. पहला मानदंड था तापमान बढ़ने का असर, दूसरा मानदंड था कमरे के अंदर एसी का तापमान घटाने पर ऊर्जा खपत पर असर और तीसरा मानदंड था बाहर ऊमस यानी ह्यूमिडिटी का असर. तीनों मानदंडों पर जाहिर है नतीजे भी चौंकाने वाले निकले.

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ऊर्जा खपत पर सक्थ होंगे नियम
सीएसई ने ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी और भारतीय मानक ब्यूरो से अपील की है कि ऊर्जा खपत के मामले में मानकीकरण के स्तर और सख्त किए जाएं. भारतीय मौसम का ध्यान रखा जाए. यहां गर्मी में या तो लू चलती है या फिर बारिश के चार महीने ऊमस भरे होत हैं. ऐसे में पश्चिमी देशों या ठंडे इलाकों का मानकीकरण उचित नहीं. लिहाजा इनके दावों के मुताबिक लोग कंपनियों के झांसे में आ जाएं और ऊर्जा बचने के बजाय 25 से 30 फीसदी और ज्यादा ऊर्जा खपने लगे.

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