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Triple Talaq: जब शायराना अंदाज में हुई संसद में तीन तलाक पर चर्चा

triple talaq bill parliament गुरुवार को शीतकालीन सत्र के 10वें दिन लोकसभा में तीन तलाक बिल पर चर्चा हुई. कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों ने बिल को संयुक्त सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की. वहीं, बीजेपी सदस्यों ने बिल पर विपक्ष से समर्थन मांगा और इस मसले पर राजनीति न करने की मांग की.

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Triple Talaq Parliament
Triple Talaq Parliament

शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक बिल पर चर्चा हुई. इस दौरान संसद सदस्यों ने तीन तलाक पर राय रखते हुए शायराना अंदाज में न सिर्फ तीन तलाक कुप्रथा को जाहिर किया, बल्कि इस मसले पर होनी वाली राजनीति पर भी तंज किया. इस कड़ी में नई दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी की सांसद मीनाक्षी लेखी ने कुरान व पैगंबर मोहम्मद का हवाला देते हुए तीन तलाक को महिलाओं के लिए अत्याचार करार दिया. केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी शायराना अंदाज में अपनी बात रखी.

तीन तलाक के मसले पर राजनीति का हवाला देते हुए मीनाक्षी लेखी ने विपक्षी दलों पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि जो पार्टी खुद को सेकुलर कहती है, वही धर्म का गलत इस्तेमाल करती है. इस पर उन्होंने ये शायरी भी पढ़ी...

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औरतों के लिए तुम्हारा चलन निराला क्यों है,

जो कहते हो कि धर्म साफ है तो ये नियम काला क्यों है,

शिकायत मस्जिदों से नहीं, पर फतवों से है मुझे,

तुमने औरतों को अपने धर्म से निकाला क्यों है

तीन तलाक की प्रथा पर भी तंज

मीनाक्षी लेखी ने फोन कॉल, वॉट्सऐप और ईमेल के जरिए दिए जाने वाले तीन तलाक को बड़ी बुराई बताते हुए इसे भी शायरी पढ़कर बयान किया. उन्होंने कहा...

कभी संगीन, कभी मजाक बन जाएगा,

मिट्टी का शरीर खाक बन जाएगा,

जरा एहतियात बरत रकीब मेरे,

न जाने कौन सा टेलीफोन तलाक बन जाएगा

सरकार की प्रतिबद्धता पर भी शायरी

तीन तलाक जैसी कुप्रथा को खत्म करने के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को भी मीनाक्षी लेखी ने शायरी के जरिए सदन के बीच रखा. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का इरादा न्याय दिलाने और देश से कुरीति खत्म करने का है. इसीलिए तीन तलाक को लेकर यह बिल लाया जा रहा है. इस पर उन्होंने कहा, 'हर मील के पत्थर पर लिख दो ये इबारत, मंजिल नहीं मिलती नाकाम इरादों से.'

मुस्लिम महिलाओं को भरोसा

मीनाक्षी लेखी ने अपने भाषण के अंत में मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ मिलने का भरोसा भी दिलाया. इसके लिए भी उन्होंने शायरी का सहारा लिया और मशहूर शायर दाग देहलवी की लिखी पंक्तियां पढ़ीं...

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मेरी आह का तुम असर देख लेना

वो आएंगे थाम-ए जिगर देख लेना

रख हौसला वो मंजर भी आएगा

प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा

मुख्तार अब्बास नकवी ने भी शायरी पढ़ी

केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी तीन तलाक के मसले पर अपनी राय रखते हुए शायरी का इस्तेमाल किया. यहां तक कि उन्होंने अपने भाषण का आगाज ही शायराना अंदाज में किया और शाह-बानो केस का हवाला देते हुए कांग्रेस की पूर्व सरकार की आलोचना की.

नकवी ने कहा, 'कभी-कभी लम्हों की खता सदियों की सजा बन जाती है.' ये लाइन पढ़ते हुए नकवी ने कहा कि लगभग तीन दशक पहले शाह बानो केस के बाद इस सदन में कांग्रेस सरकार के दौरान कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी किया गया. और आज मोदी सरकार इस कानून को प्रभावी कर रही है.

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