भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के इंजीनियर सत्येंद्र दुबे की हत्या के मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने तीन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनायी. दुबे ने वर्ष 2003 में स्वर्णिम चतुभरुज परियोजना में भ्रष्टाचार का मामला उजागर किया था.
विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह ने मंटू कुमार, उदय कुमार, पिंकू रविदास को आईआईटी.कानपुर के पूर्व छात्र दुबे की हत्या के मामले में दोषी करार दिया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी. परियोजना इंजीनियर दुबे ने निर्माण परियोजना में बड़े स्तर पर नियमों की अनदेखी और भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया था.
27 नवंबर 2003 को तड़के गया के सर्किट हाउस के सामने उन्हें गोली मार दी गयी, उस समय वह वाराणसी से लौटकर ट्रेन से उतरने के बाद अपने घर जा रहे थे. मंटू को हत्या (आईपीसी की धारा 302), लूटपाट के इरादे से जानबूझकर चोट पहुंचाने (आईपीसी की धारा 394) और शस्त्र अधिनियम के प्रावधानों के तहत दोषी करार दिया गया. दो अन्य आरोपियों को समान इरादे से मदद देने के मामले में हत्या का दोषी पाया गया है.
तीनों को शनिवार को दोषी करार दिया गया, जिसके बाद मृतक के भाई धनंजय दुबे ने कहा कि वह ‘वास्तव में निराश’ हैं क्योंकि जिन्हें दोषी करार दिया गया है वे ‘पूरी तरह निर्दोष’ हैं और उन्होंने कहा कि वास्तविक अपराधी अब भी फरार हैं.
सत्येंद्र दुबे ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी को सीधे तौर पर पत्र लिखकर निर्माण परियोजना में वित्तीय तथा ठेके संबंधी अनियमितताओं की जानकारी दी थी. दुबे की हत्या के बाद पूरे देश में प्रदर्शन हुए और इस तरह भ्रष्टाचार उजागर करने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए विधेयक लाने की मांग उठी.
मामले में सीबीआई ने 14 दिसंबर 2003 को पुलिस से जांच अपने हाथ में ले ली थी. सीबीआई ने इस मामले में तीन सितंबर 2004 को आरोपपत्र दाखिल किया. जांच के दौरान सीबीआई ने गया (बिहार) के कटारी गांव में रहने वाले मंटू, उदय, पिंकू और श्रवण कुमार को गिरफ्तार किया था.
सीबीआई ने नई दिल्ली में एक वक्तव्य में कहा, ‘वे सभी 26-27 नवंबर 2003 की दरमियानी रात को सर्किट हाउस, गया के पास इकट्ठे हुए थे. 27 नवंबर को तड़के करीब साढ़े तीन बजे दुबे एक साइकिल रिक्शा में सर्किट हाउस के सामने से गुजर रहे थे, तभी आरोपियों ने उनसे कीमती सामान लूटा और इस दौरान हुई झड़प में मंटू ने 315 बोर के देसी तमंचे से उनकी गोली मारकर हत्या कर दी.’
सीबीआई ने कहा कि दुबे का एक ब्रीफकेस एक सुनसान कुएं से मिला, जिसमें उनके पहचान पत्र समेत अन्य सामान था और जांच के दौरान देसी तमंचा भी मिला. सीबीआई ने बताया कि श्रवण ने घटना के बारे में स्वेच्छा से पूरी जानकारी दी.