अल कायदा और लश्कर ए तैयबा ने हाल में संपन्न राष्ट्रमंडल खेलों के जुड़े कुछ आयोजन स्थलों पर 12 और 13 अक्तूबर को हमले की योजना बनाई थी जिसके कारण सरकार ने इस प्रतिष्ठित खेल प्रतियोगिता अंतिम तीन दिन चार चरण की सुरक्षा व्यवस्था लागू की.
इतना ही नहीं एक पखवाड़े तक चले राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान बेहद सुरक्षित सुरक्षा ढांचे को तोड़ने की कवायद के तहत कई सौ बार साइबर हमले हुए जिससे कि कंप्यूटराइज्ड प्रणाली और सर्वर में घुसपैठ की जा सके. अंदेशा है कि ये साइबर हमले चीन से हुए.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि पश्चिमी देशों की एक सुरक्षा एजेंसी ने 10 अक्तूबर को सुराग दिये थे कि अफगान-पाकिस्तान सीमा के करीब ट्रेनिंग लेने वाले अल कायदा और लश्कर के आतंकी कुछ आयोजन स्थलों और होटलों पर हमला कर सकते हैं. सरकार ने इसके बाद हरकत में आते हुए आयोजन स्थलों और खेल गांव की सुरक्षा को बढ़ाकर तीन चरण से चार चरण की कर दिया और अतिरिक्त सशस्त्र कमांडो को तैनात किया. {mospagebreak}
इसके अलावा हवाई हमले के किसी भी प्रयास को विफल करने के भी पुख्ता इंतजाम किये गये थे. सूत्रों ने बताया कि आयोजन स्थलों से जुड़ी यह खूफिया जानकारी काफी विशिष्ट थी और इसके सुझाव दिया गया था कि आतंकी संभवत: पश्चिम एशिया या नेपाल या भारत की पश्चिमी सीमा से आ सकते हैं. सूचना में सुझाव दिया गया था कि आतंकी पांच सितारा होटलों को निशाना बना सकते हैं जिसके बाद दिल्ली के प्रमुख आठ पांच सितारा होटलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी.
यह सूचना भी थी कि आतंकी आयोजन स्थलों तक पहुंचने के लिए पैराग्लाइडर का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसके कारण विमान रोधी तोपों को भी तैयार रखा गया था. अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आने वाले सभी विदेशी नागरिकों की एक एक करके चैकिंग की गई और 20 त्वरित कार्यबल टीमों को नियुक्त करने के अलावा जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम सहित अन्य आयोजन स्थलों के करीब सेना के 40 कमांडो की विशेष टीम लगाई गई. {mospagebreak}
सरकार ने दिल्ली के 32 बाजारों की भी सुरक्षा बढ़ाते हुए अर्धसैनिक बलों के 1200 अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया जिन्हें दिल्ली पुलिस की सहायता के लिए चंडीगढ़, जालंधर और अन्य स्थानों से बुलाया गया. सूत्रों के मुताबिक आयोजन स्थलों और खेल गांव की कंप्यूटरीकृत सुरक्षा प्रणाली को ध्वस्त करने के लिए कई सौ साइबर हमले किये जिसमें से अधिकतर चीन से हुए.
सभी एथलीटों, अधिकारियों, मेहमानों और सुरक्षा कर्मचारियों को बेहद सुरक्षित मान्यता पत्र दिये गये थे जिनके बिना आयोजन स्थल और खेल गांवों में प्रवेश नामुमकिन था और कंप्यूटर प्रणाली से गुजरने के बाद ही कोई यहां दाखिल हो सकता था. अगर यह कंप्यूटरीकृत सुरक्षा प्रणाली ध्वस्त हो जाती तो पूरी सुरक्षा व्यवस्था ढह सकती थी. कंप्यूटरीकृत सुरक्षा प्रणाली पर पहला साइबर हमला तो उद्घाटन समारोह शुरू हो के दो घंटे के भीतर ही हो गया था. सरकार ने इसके बाद तुरंत हरकत में आते हुए साइबर हमलों से निपटने और इनसे बचने के लिए विशेषज्ञ इकाई नियुक्त कर दी.