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यहां बन रहा है RSS का नया गणवेश, विजयादशमी पर होगा लॉन्च

इस बार विजयादशमी में आरएसएस प्रमुख नया गणवेश पहनकर निकलेंगे तो पूरे देश के स्वंयसेवक साथ में इसे पहनेंगे. 'आज तक' की टीम ने विबिंग मील और प्रोसेसिंग यूनिट का दौरा कर आरएसएस के इस नए गणवेश की तैयारियों का जायजा लिया.

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खाकी नेकर की तरह ही नए पैंट में होंगे चौडे़े हूक और बेल्ट की जगह
खाकी नेकर की तरह ही नए पैंट में होंगे चौडे़े हूक और बेल्ट की जगह

कैसा होगा राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का नया गणवेश इस पर से पर्दा उठ गया है. फूलपैंट का रंग के गहरे खाकी कलर के नेकर के रंग से थोड़ा अलग है. आरएसएस राजस्थान के भीलवाड़ा के विबिंग मीलों में 10 लाख मीटर का कपड़ा अलग से तैयार करवा रहा है. वहां पर प्रोसेसिंग यूनिटों में युद्ध स्तर पर सिलाई की जा रही है.

कपड़ा मिलों में पहुंची 'आज तक' की टीम
इस बार विजयादशमी पर आरएसएस प्रमुख इसे पहनकर निकलेंगे तो पूरे देश के स्वंयसेवक साथ में इसे पहनेंगे. 'आज तक' की टीम ने विबिंग मील और प्रोसेसिंग यूनिट का दौरा कर आरएसएस के इस नए गणवेश की तैयारियों का जायजा लिया.

संघ के नए गणवेश पर सस्पेंस खत्म
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने पहली बार जब अपना गणवेश बदला तब से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि अब आरएसएस का नया गणवेश फूलपैंट कैसा दिखेगा. किस रंग का कपड़ा होगा, किस तरह की सिलाई होगी. फूल पैंट रेगुलर फिट होगी या फिर निकर की तरह बैगी होगा या फिर सफारी सूट या बेलबॉटम की तरह होगा. हम आपके सामने दिखाएंगे कि संघ का नया गणवेश कैसा होगा.

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विजयादशमी तक नहीं ले रहे दूसरे ऑर्डर
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ का चौगावड़ी इलाके के रिको फेज 4 के टाईटन विबिंग मिल्स में कपड़े बनते रहते हैं, लेकिन आजकल यहां विजयादशमी यानी अक्टूबर से पहले तक कोई ऑर्डर नहीं लिया जा रहा है. क्योंकि इन पर एक खास रंग के और खास तरह के कपड़े बनाने का आर्डर मिला है.

भीलवाड़ा में धागा और चित्तौड़गढ़ में तैयार हो रहा कपड़ा
भीलवाड़ा के श्पिंनिंग मिलों से धागा तैयार होकर कपड़ा चित्तौड़गढ़ के चार विबिंग मिलों में पहुंच गया है जहां कम से कम 10 लाख मीटर कपड़े विजयादशमी तक तैयार होने हैं. कपड़े का रंग रेमंड खाकी है, जो कि पहले के नेकर के खाकी के रंग से अलग है. इस आर्डर को पूरा करने के लिए मशीनों में दिन-रात काम हो रहा है.

चित्तौड़गढ़ के आकोला गांव में बन रहा है नया गणवेश
विबिंग मिल मालिक डीके शर्मा का कहना है कि उनका परिवार आरएसएस से जुड़ा रहा है. उन्हें नागपुर से ये आर्डर मिला है. चार लाख मीटर कपड़ा तैयार कर हमें अलग-अलग राज्यों में भेजना है. यहां से कपड़े तैयार होकर प्रोसेसिंग यूनिट में पहुंच रहे हैं. चित्तौड़गढ़ का आकोला गांव में अलग-अलग नाप के फूल पैंट तैयार हो रहे हैं.

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नेकर की तरह ही है पैंट की डिजायन
यहां पहले से संघ का गणवेश और उसकी टोपी सिलती रही है. पुराने और नए पैंट का रंग और डिजायन को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह से विजयादशमी के दिन स्वंयसेवक नए ड्रेस में दिखेंगे. फूल पैंट उपर से पहले के नेकर की तरह है जिसमें चौड़ी बेल्ट के लिए चौड़े हुक दिए गए हैं. आगे से प्लेटें भी नेकर की तरह ही हैं. नीचे में नेकर से कम मगर सामान्य पैंटों से ज्यादा चौड़ाई है.

 15 सालों से सिल रहे हैं आरएसएस के गणवेश
इनको फिलहाल 10 हजार पैंट सिलने के ऑर्डर मिले हैं. ये सिलने के बाद नागपुर भेजे जाएंगे. जहां चेक होने के बाद 50 हजार नए पैंट सिलने के ऑर्डर और मिलेंगे. टेलर जयप्रकाश आकोला में अपने यूनिट में मजदूरों को लेकर दिन-रात सिलाई में लगे हैं. इनका कहना है कि मैं पिछले 15 सालों से आरएसएस की ड्रेस सिल रहा हूं. हमारे पास डिजायन भेजा गया था और मुझे दस हजार पैंट सिलकर जून में ही नागपुर भेजना है.

नागपुर से अप्रूव्ड होकर आई डिजायन
पैंट की डिजायन नागपुर से अप्रूव्ड होकर आई है. इसकी कमर 28 से लेकर 46 इंच तक रखी जा रही है. वहीं लंबाई 30 से 48 इंच की रखी जा रही है. तैयार होने के बाद इसे बिक्री के लिए सभी संघ भवनों के विक्रय केंद्रों पर भेजा जाएगा. इसका मूल्य 200 से 300 रुपये के बीच होगा. इस पर अभी अंतिम फैसला होना बाकी है. इससे पहले सवा तीन रुपए प्रति इंच के हिसाब से नेकर बेचे जाते थे.

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विजयादशमी पर लॉन्च होगा नया गणवेश
पैंट तैयार कर रहे मजदूरों का कहना है कि ऑर्डर इतने मिले हैं कि रोजाना ये 200 से लेकर 400 रुपए तक कमा ले रहे हैं. इस तरह के नए गणवेश एक साथ आरएसएस प्रमुख नागपुर में कई शहरों में विजयादशमी के दिन लॉन्च करेंगे. इसके लिए सभी राज्यों में एक शहर में इस तरह से पैंट की सिलाई चल रही है.

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