scorecardresearch
 

विकास में विकसित और अविकसित की खाई न बने :मुंडा

झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासियों और गरीबों के विकास की दौड़ में समाज की मुख्य धारा से अलग-थलग पड़ जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि देश में विकसित और अविकसित के बीच खाई नहीं बननी चाहिए अन्यथा इसके गंभीर परिणाम होंगे.

Advertisement
X

झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासियों और गरीबों के विकास की दौड़ में समाज की मुख्य धारा से अलग-थलग पड़ जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि देश में विकसित और अविकसित के बीच खाई नहीं बननी चाहिए अन्यथा इसके गंभीर परिणाम होंगे.

झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि देश के सभी क्षेत्रों में समावेशी विकास की आवश्यकता है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विकास की अंधी दौड़ से अछूते रह जाने वाले लोगों की दो जमात न बन जाए.

उन्होंने आशंका व्यक्त की कि अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो विकास की इस दौड़ में धनी और वंचित की बिरादरी में एक गहरी खाई खड़ी हो जाएगी, जिससे समाज के लिए गंभीर परिणाम होंगे.

मुंडा ने झारखंड समेत देश के समस्त आदिवासी समाज और गरीबों की ओर संकेत करते हुए कहा,‘‘देश में इस समय कुछ ऐसा चल रहा है कि समाज का एक तबका विकास के बहाव के साथ चल रहा है, लेकिन दूसरा तबका जहां का तहां ठहर गया है. उस तक किसी की पहुंच ही नहीं बन पायी है. विकास की इस गंगा में यदि कुछ लोग पूरी तरह छूट गए तो वह पूरी व्यवस्था के लिए संकट के कारण बनेंगे.

Advertisement

मुंडा ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘आखिर हमने जंगलों ओर पहाड़ों में खनिज लकड़ी एवं अपने काम की अन्य वस्तुएं ढूंढ ली, लेकिन वहां कौन-कौन लोग रह रहे है उनकी तलाश क्यों नहीं की.’’ मुंडा ने सवाल किया कि इंसान को ही इन पहाड़ों और जंगलों से ढूंढ कर उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का काम विकास की बात करने वालों ने आखिर क्यों नहीं की.

उन्होंने कहा कि इसका स्पष्ट अर्थ है कि हमारे दृष्टिकोण में स्पष्टता नहीं थी या हमने जानबूझकर इन लोगों को छोड़ दिया. उन्होंने कहा कि इसी बात का वर्तमान समाज में किसी न किसी रुप में प्रतिबिंबित हो रहा है. उनका इशारा स्पष्ट तौर पर नक्सली समस्या और देश की अन्य सामाजिक समस्याओं की ओर था.

उन्होंने कहा, ‘‘यह तबका इतना पीछे छूट गया है कि उसे सबके साथ लाते लाते भी बहुत समय बीतता जा रहा है और आगे भी इसमें काफी समय लगने की आशंका है.’’ झारखंड के विकास की रुपरेखा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस बात का ख्याल रखना होगा कि आगे समाज में इस तरह की रेखा अब न खिंचे अन्यथा नयी खाई को पाटना शायद ही संभव हो सकेगा.

उन्होंने निराशा भरे स्वर में कहा ‘‘हम उन्नति की जितनी भी बातें कर लें, वैश्विक अर्थव्यवस्था ने हमें निचोड़ दिया है. एक बड़ी आबादी इस वैश्विक अर्थव्यवस्था से कटी है.’’

Advertisement
Advertisement