गणेश चतुर्थी के दिन भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों के इतिहास का एक और पन्ना लिखा गया. भारत-बंगलादेश सीमा पार कर पहला ट्रक बिना ट्रक या कंटेनर बदले सीधा दिल्ली पहुंचा. हालांकि इस ट्रायल के रूटीन रन बनने में कई किस्म की तकनीकी और प्रशासनिक बाधाएं हैं. जिन्हें दूर किए बगैर ये परियोजना दूर की कौड़ी ही होगी.
ढाका से दिल्ली के पटपड़गंज पहुंचा ट्रक
बांग्लादेश की राजधानी ढाका से 28 अगस्त को यह ट्रक रेडिमेड गारमेंट्स की खेप लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुआ था. पश्चिम बंगाल की पेट्रापोल सीमा चौकी से 29 अगस्त को इम्पोर्टेड
कन्साइनमेंट लेकर भारत की सीमा में दाखिल हुआ. जीपीएस से लैस विशेष ट्रक की यात्रा दिल्ली में पटपड़गंज के इनलैंड कंटेनर डिपो में समाप्त हुई.
मोटर वाहन समझौते के तहत बांग्ला देश की पहल
भारत-बांग्लादेश-भूटान-नेपाल मोटर वाहन समझौते के तहत बांग्लादेश की ओर से यह पहला कदम उठाया गया है. हालांकि ट्रायल रन के रूटीन रन में तब्दील होने में कई तकनीकी अड़चनें हैं.
कन्साइनमेंट का ऑनलाइन बुकिंग हो, प्रशासनिक क्लीयरेंस हो या सरहद पर होने वाली अड़चनें , जब तक व्यवस्था दुरुस्त और विभागों में आपसी तालमेल नहीं होगा यह शुरुआत मंजिल तक
बमुश्किल ही पहुंचेगी.
कारोबार के साथ ही मजबूत होंगे आपसी रिश्ते
ट्रायल वाले ट्रक में जीपीएस के साथ इलेक्ट्रोनिक सील लगी थी. इससे कस्टम, ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री और कन्साइनर खुद ऑनलाइन ट्रक की पल-पल की गतिविधि पर निगाह रख सकता है. इन्लैंड कंटेनर डिपो में भारतीय कस्टम के अतिरिक्त कमिश्नर विनायक आजाद के मुताबिक व्यवस्था कामयाब होने से तो ना केवल भारत के साथ नेपाल, बांग्लादेश और भूटान के बीच
व्यापार बढ़ेगा बल्कि आपसी रिश्ते भी मजबूत होंगे. इस व्यवस्था में समय और परेशानी कम और व्यापार ज्यादा होगा.