अयोध्या पर फैसले से पहले अंबेडकर नगर के अलग-अलग कॉलेजों में 8 अस्थाई जेल बनाई गई है. प्रशासन ने ऐसा फैसला सुरक्षा के मद्देनजर लिया है. अयोध्या में पहले से हाई अलर्ट है और जगह-जगह जवानों की तैनाती की गई है. प्रशासन हर परिस्थिति से निपटने के लिए सुरक्षात्मक मोड में हैं. संवेदनशील मामला होने की वजह से एहतियातन ऐसा किया गया है.
Eight temporary jails set up in different colleges in Ambedkar Nagar district ahead of probable verdict in Ayodhya case.
— ANI UP (@ANINewsUP) November 7, 2019
बता दें कि पुलिस मुख्यालय ने सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील 34 जिलों के पुलिस प्रमुखों को भी निर्देश जारी कर दिए हैं. इन जिलों में मेरठ, आगरा, अलीगढ़, रामपुर, बरेली, फिरोजाबाद, कानपुर, लखनऊ, शाहजहांपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर और आजमगढ़ आदि हैं.
पुलिस तंत्र में जन संवाद सिस्टमों की महत्ता पर जोर देते हुए पूर्व पुलिस उप महानिदेशक (डीजीपी) ब्रजलाल ने याद करते हुए बताया था, 'बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के दो दिन बाद एक सहयोगी ने मुझे सूचना दी कि मेरठ में मेरी हत्या की अफवाह फैल रही है और तनाव पैदा हो रहा है. तब मैं मेरठ का एसएसपी (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) था. मैंने जन संवाद सिस्टम के माध्यम से अफवाह को खारिज किया. आज वट्सऐप और एसएमएस से ऐसी अफवाहें खतरनाक गति से फैल सकती हैं.'
ब्रजलाल ने कहा कि सितंबर 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अयोध्या पर फैसले के समय वो सहायक डीजीपी (कानून व्यवस्था) थे और उन्होंने सभी जिलों में उचित स्थानों पर जनसंवाद सिस्टमों को सुनिश्चित कराया था. पुलिस विभाग अपने वाहनों की भी मरम्मत और सर्विस करा रहा है, जिससे आपातकाल में कोई समस्या ना आ जाए. उन्होंने कहा, 'अफवाहों और गलत जानकारियों को फैलने से रोकने के लिए हम सोशल मीडिया पर भी व्यापक स्तर पर निगरानी रखे हुए हैं.'