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‘कानून से ऊपर कोई नहीं, SC के जज भी नहीं’, RTI पर फैसले की बड़ी बातें

मुख्य न्यायधीश यानी चीफ जस्टिस का कार्यालय अब सूचना के अधिकार के तहत आएगा. इस निर्णय को लेते हुए अदालत ने कई टिप्पणियां कीं, जिनमें से एक ये भी रही कि कानून से ऊपर कोई भी नहीं है, सुप्रीम कोर्ट के जज भी नहीं.

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सूचना के अधिकार के तहत आएगा चीफ जस्टिस ऑफिस
सूचना के अधिकार के तहत आएगा चीफ जस्टिस ऑफिस

  • सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला
  • RTI के तहत आएगा CJI कार्यालय
  • फैसले में की गई बड़ी टिप्पणियां

पारदर्शिता के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने ऐतिहासिक निर्णय लिया है. मुख्य न्यायधीश यानी चीफ जस्टिस का कार्यालय अब सूचना के अधिकार के तहत आएगा. इस निर्णय को लेते हुए अदालत ने कई टिप्पणियां कीं, जिनमें से एक ये भी रही कि कानून से ऊपर कोई भी नहीं है, सुप्रीम कोर्ट के जज भी नहीं. पांच जजों की पीठ ने इस फैसले को लेते हुए क्या टिप्पणियां कीं, यहां पढ़ें...

- सुप्रीम कोर्ट के RTI के तहत आने से पारदर्शिता बढ़ेगी.

- इससे न्यायिक स्वायत्तता अधिक मजबूत होगी.

- इससे ये भाव मजबूत होगा कि कानून से ऊपर कोई नहीं, सुप्रीम कोर्ट के जज भी नहीं.

- चीफ जस्टिस का कार्यालय पब्लिक अथॉरिटी, इसलिए RTI के तहत आना चाहिए.

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- RTI का इस्तेमाल जासूसी के साधन के रूप में नहीं किया जा सकता है.

- पारदर्शिता न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर नहीं करती.

- कोलेजियम की जानकारी अब सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर डाली जाएगी.

आपको बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने इस फैसले को सुनाया. इस पीठ में उनके अलावा जस्टिस एस. खन्ना, जस्टिस दीपक गुप्ता, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस रमन्ना शामिल रहे.

जस्टिस खन्ना के द्वारा लिखे फैसले पर CJI गोगोई और जस्टिस गुप्ता ने सहमति जताई. हालांकि, जस्टिस रमन्ना और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कुछ मुद्दों पर अपनी अलग राय व्यक्त की.

गौरतलब है कि 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं. रिटायरमेंट से पहले CJI कई बड़े मामलों पर फैसला सुना रहे हैं. हाल ही में उनकी अगुवाई वाली बेंच ने अयोध्या केस पर फैसला सुनाया , आज RTI मामले, कर्नाटक मामले में फैसला आया. इसके अलावा सर्वोच्च अदालत राफेल मामले, राहुल गांधी का अवमानना केस पर फैसला सुनाएगी.

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