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SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण दे सकेंगी राज्य सरकारें, SC ने दूर की बाधाएं

 बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कमोबेस वही फैसला दिया जो 2006 में नागराज बनाम भारत संघ में दिया गया था. फर्क बस इतना है कि इस बार कोर्ट ने गेंद राज्य सरकारों के पाले में डालते हुए यह साफ कर दिया कि वे चाहें तो पदोन्नति में आरक्षण का फैसला ले सकती हैं.

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सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो

पदोन्नति में आरक्षण के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया. देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि एससी-एसटी को पदोन्नति में आरक्षण देना जरूरी नहीं. हालांकि अदालत ने राज्यों को इस पर फैसला लेने की छूट दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले को आगे 7 जजों की बेंच को भेजने की कोई जरूरत नहीं.

पदोन्नति में एससी-एसटी को आरक्षण मिले या नहीं, यह मामला साल 2006 से विवाद का मसला बना हुआ था. अक्टूबर 2006 में नागराज बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने इस मुद्दे पर फैसला दिया कि सरकारी नौकरी में एससी-एसटी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए सरकार बाध्य नहीं है. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर आरक्षण देने का प्रावधान सरकार करना चाहती है, तो राज्य को एससी-एसटी वर्ग के पिछड़ेपन और सरकारी रोजगार में कमियों का पूरा आंकड़ा जुटाना होगा.

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इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. कोर्ट की सविधान पीठ ने 30 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच में जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदु मल्होत्रा ​​शामिल थे. इसी बेंच ने बुधवार को इस मसले में अपना अहम फैसला सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की दलील

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि नागराज बनाम भारत संघ का फैसला एससी-एसटी को पदोन्नति में आरक्षण देने में रुकावट पैदा कर रहा है. सरकार ने कोर्ट से गुजारिश की थी कि इस पर दोबारा विचार किया जाए. अटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि इस फैसले में आरक्षण दिए जाने के लिए दी गई शर्तों पर अमल करना व्यावहारिक नहीं है. केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश वेणुगोपाल ने कहा था एससी-एसटी सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़े हैं, जिसे साबित करने की जरूरत नहीं है. वेणुगोपाल ने आरक्षण देने के लिए आंकड़े जुटाने को भी अव्याहारिक बताया था.

नागराज के फैसले पर केंद्र के सवाल

केंद्र सरकार का सवाल था कि आरक्षण देने के लिए एससी-एसटी का नौकरियों में प्रतिनिधित्व क्या है, इसे कैसे साबित किया जाएगा. केंद्र ने यह भी पूछा था कि नागराज का फैसला क्या नौकरियों में हर पद के लिए होगा या किसी-किसी के लिए. सवाल यह भी था कि आंकड़े क्या हर विभाग के लिए जुटाए जाएंगे और जुटा भी लिए गए तो आरक्षण किस आधार पर तय किए जाएंगे. सरकार ने कोर्ट को बताया था एससी-एसटी के लिए सरकारी नौकरियों में 22.5 फीसदी पदों पर आरक्षण देना चाहती है. अगर इतना आरक्षण दे दिया जाए तो इस समुदाय को उसका वाजिब हक मिल जाएगा.

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