सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार और कॉलेजियम आमने-सामने हैं. कॉलेजियम ने सर्वोच्च अदालत में नियुक्ति के लिए जिन दो जजों की सिफारिश की थी, उनपर केंद्र सरकार ने आपत्ति दर्ज कराई थी. लेकिन अब जवाब में कॉलेजियम ने केंद्र की आपत्तियों को ही खारिज कर दिया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की तरफ से दो नए नामों की सिफारिश भी भेजी गई है.
दरअसल, 12 अप्रैल को कॉलेजियम की तरफ से झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अनिरुद्ध बोस और गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एएस बोपन्ना को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने के लिए सिफारिश की गई थी. लेकिन केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की इस सिफारिश को नहीं माना और फिर से विचार करने को कहा.
अब अपने जवाब में कॉलेजियम का कहना है कि जज नियुक्त करते समय वरिष्ठता को तरजीह दी जानी चाहिए. इतना कहते हुए कॉलेजियम की तरफ से केंद्र की दलील खारिज की गई और दोबारा जस्टिस बोस, जस्टिस बोपन्ना के नाम भेजे गए.
बता दें कि जस्टिस बोस वरिष्ठता में 12वें और जस्टिस बोपन्ना 36वें क्रम पर हैं. सुप्रीम कोर्ट में इस वक्त 27 जज हैं, जबकि 31 जजों के पद स्वीकृत हैं. हालांकि, इस बार जिन दो नए नामों को भेजा गया है उनमें बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और हिमाचल हाईकोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं.
गौरतलब है कि जजों की नियुक्ति को लेकर इससे पहले भी कॉलेजियम और केंद्र सरकार में तकरार हो चुकी है. इससे पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ की नियुक्ति को लेकर जब कॉलेजियम ने सिफारिश की थी, तब भी केंद्र सरकार ने आपत्ति दर्ज कराई थी. जिसपर काफी विवाद हुआ था, हालांकि बाद में जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति हो गई थी.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में सर्वोच्च अदालत के शीर्ष पांच जज शामिल होते हैं. इनमें चीफ जस्टिस के अलावा क्रमानुसार शीर्ष अन्य चार जज शामिल होते हैं. यानी अभी CJI रंजन गोगोई के अलावा, जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नरीमन शामिल हैं.