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सभी पोर्न वेबसाइट पर बैन मुमकिन नहीं, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में डाला हलफनामा

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा डालते हुए बताया कि सभी पोर्न वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाया जाना संभव नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पोर्न वेबसाइटों पर तकनीकी समाधान निकालते हुए इस बाबत चार हफ्ते में हलफनामा डालने को कहा था.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा डालते हुए बताया कि सभी पोर्न वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाया जाना संभव नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पोर्न वेबसाइटों पर तकनीकी समाधान निकालते हुए इस बाबत चार हफ्ते में हलफनामा डालने को कहा था.

केंद्र ने कहा कि यह सरकार के लिए भी मुमकिन नहीं है कि वह सभी इंटरनेशनल पोर्न साइट्स को ब्‍लॉक कर दे.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कहा था कि वह इस मसले का कोई ठोस और व्‍यावहारिक हल निकाले.

गौरतलब है कि पोर्न वेबसाइट्स को नियंत्रित किए जाने की मांग हाल के दिनों में और तेज होती जा रही है. इसी जटिल मसले को हल करने के लिए एक संसदीय समिति साइबर पोर्न पर अंकुश लगाने के उपायों पर विचार कर रही. समिति ने यह फैसला उन शिकायतों के बीच लिया है कि साइबर पोर्न समाज को विकृत कर रहा है.

राज्यसभा की याचिका पर संसदीय समिति ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में संशोधन के जरिए साइबर पोर्नोग्राफी पर अंकुश लगाने के अनुरोध पर कदम उठा रही. समिति ने सभी पक्षों और आम जनता से अपनी राय तैयार करने के लिए मदद मांगी है.

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याचिका पर जाने-माने जैन पुरोहित विजय रत्न सुंदर सूरी के हस्ताक्षर हैं. इसपर राज्यसभा सदस्य विजय दर्डा का भी हस्ताक्षर है. याचिका में कहा गया है कि साइबर पोर्नोग्राफी के जरिए फैलाई जा रही मुक्त यौन संस्कृति समाज को विकृत कर रही है.

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