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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अहमदाबाद के सहकारी बैंक का मामला

याचिकाकर्ता मुंबई के आरटीआई एक्टिविस्ट मनोरंजन संतोष रॉय हैं. रॉय पर मुंबई हाईकोर्ट ने गलत दलीलों और तथ्यों से अदालत को गुमराह करने की कोशिश करने की शिकायत मंजूर करते हुए जुर्माना तक लगाने की चेतावनी दी थी.

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सुप्रीम कोर्ट
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अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक में नोटबंदी के पहले और बाद में अरबों रुपये के पुराने नोट जमा होने के राज खोलने वाला मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. 22 जून को सुप्रीम कोर्ट में इस बाबत याचिका दाखिल कर दी गई.

याचिकाकर्ता मुंबई के आरटीआई एक्टिविस्ट मनोरंजन संतोष रॉय हैं. रॉय पर मुंबई हाईकोर्ट ने गलत दलीलों और तथ्यों से अदालत को गुमराह करने की कोशिश करने की शिकायत मंजूर करते हुए जुर्माना तक लगाने की चेतावनी दी थी.

बंबई हाईकोर्ट खारिज कर चुका है याचिका

अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक में नोटबंदी के पांच दिनों के भीतर 745 करोड़ साठ लाख से भी ज्यादा रकम जमा होने की जांच कराने वाली जनहित याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट खारिज कर चुका है. इससे पहले याचिका में रॉय ने प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और गृह मंत्रालय को भी पक्षकार बनाया था.

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इस पर रिजर्व बैंक के वकील ने इन तीनों को पक्षकार बनाये जाने को सर्वथा अनुचित बताते हुए रॉय की याचिका को गलत मंशा से प्रेरित बताया था. इन दलीलों को मानते हुए अदालत ने रॉय को चेतावनी दी थी कि उन पर ऐसी हरकतों के लिए जुर्माना तक लगाया जा सकता है.

फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले रॉय ने दलील दी है कि बंबई हाईकोर्ट ने उनका मामला सही से सुना नहीं. लिहाजा उन्होंने उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

नोटबंदी से पहले भी रॉय ने सरकारी छापाखाने में छापे गये नोटों की खेप रिजर्व बैंक रवाना होने और रिजर्व बैंक में आए नोटों का ब्यौरा आरटीआई के जरिए मांगा था. जानकारी अलग अलग स्रोतों से आई और उनमें भारी अनियमितता मिली.

46 करोड़ 93 लाख 16 हजार नोट का कोई हिसाब नहीं

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक 2000 से 2011 के बीच सरकारी छापे खाने से पांच सौ के 19 अरब 45 करोड़ 40 लाख नोट रवाना किए गए. लेकिन रिजर्व बैंक तक पहुंचे सिर्फ 18 अरब 98 करोड़ 46 लाख 84 हजार नोट. यानी 46 करोड़ 93 लाख 16 हजार नोट कहां गए इसका कोई हिसाब नहीं मिला.

इन गुमशुदा नोटों की कीमत 23 हजार 465 करोड़ रुपये थी. दूसरे स्रोत से इसी दौरान छाप कर भेजे गये नोटों के मुकाबले रिजर्व बैंक तक पहुंचे नोट ज्यादा थे. भेजे गये नोटों की तादाद चार अरब 44 करोड़ 13 लाख थी और रिजर्व बैंक ने बताया कि उसके पास पहुंचे चार अरब 45 करोड़ तीस लाख, यानी एक करोड़ 17 लाख नोट ज्यादा.

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अब इस रहस्य का अब तक कोई सुराग नहीं मिला कि रास्ते में नोट बढ़े कैसे. फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. उम्मीद है कि इस पर जुलाई में सुनवाई हो.

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