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सुंदरवन में ट्रैकिंग कॉलर में इन्‍फेक्‍शन से बाघिन की मौत

पंश्चिम बंगाल स्थित सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान में एक बाघिन की मौत के कारणों का जब पता चला तो सुंदरवन प्रशासन के होश उड़ गए!

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tigress
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पश्चिम बंगाल स्थित सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान में एक बाघिन की मौत के कारणों का जब पता चला तो सुंदरवन प्रशासन के होश उड़ गए!

सुंदरवन के डॉयरेक्‍टर एस दासगुप्‍ता ने इस बाघिन की मौत की जानकारी देते हुए मौत के कारणों का खुलासा किया.एस दासगुप्‍ता के मुताबिक बाघिन की मौत उसके गले पर लगे हुए ट्रैकिंग कॉलर के इन्‍फेक्‍शन के कारण हुई है.पिछले 6 महीने में इस वजह से यह दूसरी बाघिन की मौत थी.

करीब 6 महीने पहले सितंबर 2014 में मध्‍य प्रदेश के पन्‍ना टाइगर रिजर्व में एक बाघिन की मौत इसी इन्‍फेक्‍शन की वजह से हुई थी. जबकि सुंदरवन में जिस बाघिन की मौत हुई है उसे 2013 में पैर में चोट लगने के कारण सजनखेली में उपचार के लिए लाया गया था. पैर में चोट लगने के कारण यह बाघिन चलने में असमर्थ थी. उपचार के बाद 2014 में इसे छोड़ दिया गया. इसके बाद उसके गले में एक रेडियो कॉलर फिट कर दिया गया जिससे कि उसे ट्रैक किया जा सके.

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पिछले कुछ महीने से ट्रैकिंग सिस्‍टम में इस बाघिन का मूवमेंट बंद हो गया. सुंदरवन प्रशासन को लगा कि बाघिन ने हो सकता है जन्‍म दिया हो या उसका ट्रैकिंग डिवाइस गिर गया होगा इस वजह से सिगनल एक जगह से ही आ रहे हैं.पिछले महीने जब सुंदरवन प्रशासन ने बाघिन को सर्च करने के लिए अभियान चलाया तो उसे उसका मृत शरीर मिला जो कंकाल में बदल चुका था.दासगुप्‍ता के मुताबिक बाघिन मौत से पहले घने जंगलों में चली गई थी जिस कारण सर्चिंग टीम हथियारों से लैस होकर उसे खोजने के लिए निकली थी.मंगलवार की सुबह सुंदरवन प्रशासन बाघिन तक पहुंचने में कामयाब रही जिसके बाद उसके मौत की आधिकारिक पुष्टि हो गई.

क्या होता है रेडियो कॉलर?
रेडियो कॉलर एक तरह का इलेक्‍ट्रॉनिक डिवाइस है जो कि सिग्नल देता है. सिग्नल कम्प्यूटर या मोबाइल सिम में आता है. इससे वन्य प्राणियों की लोकेशन और मूवमेंट का पता लगता है. यह एक लॉक की तरह एक छोटा उपकरण है जिसे वन्य प्राणियों के गले में बांधा जाता है।

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