भारतीय सशस्त्र बलों के इतिहास में पहली बार एक सेवारत लेफ्टिनेंट जनरल को वित्तीय अनियमितताओं में कथित तौर पर संलिप्तता को लेकर कोर्ट मार्शल की कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि 33वीं कोर के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी के रथ के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही 30 अगस्त को शुरू की जाएगी. उन्हें पश्चिम बंगाल में सुकना स्थित सैन्य केंद्र के पास 70 एकड़ भूमि पर शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने के लिए एक निजी रिएल्टर को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने में भूमिका को लेकर कोर्ट मार्शल की कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि समरी आफ एविडेंस (एसओई) में लेफ्टिनेंट जनरल रथ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही जारी रखने की अनुशंसा किए जाने के बाद उनके खिलाफ कोर्ट मार्शल शुरू करने के लिए पहले ही आदेश जारी किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि कोर्ट मार्शल की अध्यक्षता रथ से वरिष्ठ तीन स्टार वाले अधिकारी करेंगे. {mospagebreak}
सेना ने रथ पर आरोप लगाया है कि उन्होंने एक निजी रिएल्टर को 300 करोड़ रुपये के भूमि घोटाले में ठगी करने की मंशा से अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया था. पिछले साल की गई कोर्ट आफ इन्क्वायरी में सेना ने कथित भूमि घोटाले में रथ को आरोपित किया था और रक्षा मंत्रालय ने डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के तौर पर उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया था.
पूर्व सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश, लेफ्टिनेंट जनरल रमेश हलगाली और मेजर जनरल पी के सेन को भी कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में आरोपित किया गया था. रथ और प्रकाश के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई का आदेश दिया गया था जबकि हलगाली को सिर्फ प्रशासनिक कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है. इस मामले में प्रकाश के खिलाफ पिछले महीने 19 जुलाई से कोलकाता में एसओई अब भी जारी है.