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क्रिकेट के सुपर फैन भी हैं माइक्रोसॉफ्ट के नए सीईओ सत्य नाडेला

दुनिया की सबसे बड़ी साफ्टवेयर निर्माता कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने एक भारतीय सत्य नाडेला को सीईओ नियुक्त किया है. हैदराबाद में जन्मे नाडेला स्टीव बालमर की जगह लेंगे. इससे पहले वो माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड एण्ड इंटरप्राइज ग्रुप के कार्यकारी उपाध्यक्ष थे. नाडेला कंपनी के तीसरे सीईओ होंगे. सत्य नाडेला ऐसे समय में माइक्रोसॉफ्ट की बागडोर संभालने जा रहे हैं, जब यह कंपनी उपकरणों तथा क्लाउड बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

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माइक्रोसॉफ्ट के तीसरे सीईओ हैं सत्य नाडेला
माइक्रोसॉफ्ट के तीसरे सीईओ हैं सत्य नाडेला

दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने एक भारतीय सत्य नाडेला को सीईओ नियुक्त किया है. हैदराबाद में जन्मे नाडेला स्टीव बालमर की जगह लेंगे. इससे पहले वो माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड एंड इंटरप्राइज ग्रुप के कार्यकारी उपाध्यक्ष थे. नाडेला कंपनी के तीसरे सीईओ होंगे. सत्य नाडेला ऐसे समय में माइक्रोसॉफ्ट की बागडोर संभालने जा रहे हैं, जब यह कंपनी उपकरणों और क्लाउड बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

क्रिकेट भक्त भी हैं नाडेला
आम भारतीय की तरह नाडेला को भी शुरू से क्रिकेट का शौक रहा. आज वह इसे अपने अपना सबसे बड़ा शौक भी बताते हैं. वह कहते हैं, ‘क्रिकेट के कारण ही मुझमें टीम वर्क और ग्रुप लीड करने का गुण विकसित हुआ और मेरे करियर के दौरान मेरे साथ बना रहा.’ नाडेला टेस्ट क्रिकेट के फैन हैं. वह कहते हैं, ‘मैं इसे बेहद पसंद करता हूं. इसमें कई सब-स्पॉट हैं और यह कमोबेश रूसी उपन्यास पढ़ने जैसा है.’

नाडेला का जन्म हैदराबाद में एक तेलुगु परिवार में हुआ था. उनका परिवार आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले का रहने वाला है. उनके पिता बीएन युगांधर एक आईएएस अधिकारी हैं और 2004-09 तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाले योजना आयोग के सदस्य रहे.

कर्नाटक के मनिपाल इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में डिग्री हासिल करने से पहले नाडेला ने बेगमपेट के हैदराबाद पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की. इंजीनियरिंग में स्नातक के बाद नाडेला ने अमेरिका के विस्कॉन्सिस यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया. इसके बाद उन्होंने बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस, यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो से एमबीए की पढ़ाई की. नाडेला कहते हैं, ‘मैं शुरू से ही कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करना चाहता था. लेकिन मनिपाल यूनिवर्सिटी की पढ़ाई में इस पर जोर नहीं था और मैंने वहां से इलेक्ट्रॉनिक में स्नातक किया.’

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किया माइक्रोसॉफ्ट का कायापलट
माइक्रोसॉफ्ट की ऑनलाइन सर्विस में नाडेला ने सीनियर वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट (R&D) और माइक्रोसॉफ्ट बिजनेस डिवीजन में वाइस प्रेसिडेंट के रूप में काम किया. इसके बाद उन्हें माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर एंड टूल बिजनेस का प्रेसिडेंट बना दिया गया. यहां इन्होंने क्लाइंट सर्विस से क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर एण्ड सर्विसेज पर ले जा कर कंपनी के बिजनेस का कायापलट कर दिया. माइक्रोसॉफ्ट डेटाबेस, विंडो सर्वर और डेवलपर टूल्स को अज़ूर क्लाउड पर लाने का श्रेय नाडेला को ही जाता है. उन्होंने 2011 में क्लाउट सर्विसेज ज्वॉइन किया था तब इसकी सालाना आमदनी 16.6 बिलियन डॉलर थी जो जून 2013 में बढ़कर 20.3 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई. 2013 में नाडेला की बेस सैलरी 6.7 मिलियन डॉलर थी, स्टॉक बोनस मिलाकर यह कुल 7.6 मिलियन डॉलर होती है. सीईओ बनाए जाने के बाद अपने एक बयान में नाडेला ने कहा, ‘माइक्रोसॉफ्ट के सामने बड़े अवसर हैं, लेकिन उनका दोहन करने के लिए हमें तेजी से, मेहनत से काम करना होगा और रूपांतरण जारी रखना होगा.’ नाडेला के बारे में माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक व पूर्व चेयरमैन बिल गेट्स का कहना है कि बदलाव के दौर में माइक्रोसॉफ्ट का नेतृत्व करने के लिए सत्य नाडेला से बेहतर कोई व्यक्ति नहीं होगा. उन्‍होंने नाडेला को इंजीनियरिंग एक्सपर्ट, बिजनेस माइंड वाला ऑफिसर बताया.

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साथ-साथ की जॉब और पढ़ाई
नाडेला ने यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिस से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स करने के बाद शिकागो यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में भी मास्टर्स किया. उन्होंने 1992 में सन माइक्रोसॉफ्ट से अपने करियर की शुरुआत की और जब वो बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के कोर्स के लिए शिकागो जा रहे थे तभी उनके पास माइक्रोसॉफ्ट से जॉब कॉल आया. कंपनी तब ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज एनटी बना रही थी और ऐसे लोगों की तलाश कर रही थी जिनकी यूनिक्स, और 32-बिट्स ऑपरेटिंग सिस्टम पर पकड़ हो. नाडेला अपना मास्टर्स कोर्स भी पूरा करना चाहते थे और माइक्रोसॉफ्ट का जॉब भी करना चाहते थे. उन्होंने अपने लगन से दोनों पूरा किया. वो बताते हैं, ‘मैं शुक्रवार की रात को हवाई जहाज से शिकागो जाता था, शनिवार को वहां क्लास करता था और वापस रेडमंड पहुंच कर पूरे हफ्ते काम करता था.’ ढ़ाई साल लगे, लेकिन अंततः उन्होंने यह कोर्स पूरा करके ही दम लिया.

नाडेला में है सीखने की लगन
नाडेला हमेशा सीखने की कोशिश में लगे रहते हैं. वो कहते हैं, ‘मैं कुछ सीख रहा हूं ये एहसास मुझे सबसे ज्यादा उत्तेजित करता है. मैं किसी जगह के बारे में कुछ सीख सकता हूं. लोगों से सीख सकता हूं और चीजें अलग तरीके से करके सीखता रहता हूं. और जिन लोगों में ऐसी ललक है मैं उनकी बहुत प्रशंसा करता हूं. मेरा मानना है कि जो कोई भी नई चीजें नहीं सीख रहे हैं वो कुछ अलग करने से खुद को वंचित कर रहे हैं. इसलिए, परिवार, उत्सुकता और ज्ञान के लिए सीखने की ललक ये सभी मेरा परिचय है.’

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नाडेला की शादी
नाडेला 1992 में विवाह के बंधन में बंधे. उनकी शादी उनके पिता के बैचमेट केआर वेनुगोपाल की बेटी अनुपमा से हुई. आज इन दोनों के तीन बच्चे हैं. सभी वाशिंगटन में रहते हैं. नाडेला को कविता पढ़ने के भी बेहद शौक है और वो अमेरिकी और भारतीय कविताओं को बहुत उत्साह से पढ़ते हैं.

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