उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक में अनुरोध किया कि केंद्रीय प्लान बजट का कम से कम 50 फीसदी हिस्सा राज्यों को एकमुश्त उपलब्ध कराया जाए, ताकि राज्य सरकारें स्थानीय जरूरतों के हिसाब से योजनाएं चला सकें. 'उदारीकरण से बदले हालात में जरूरी है परिवर्तन'
अखिलेश यादव ने कहा कि केंद्र के कुल बजट का 26 प्रतिशत भाग प्लान बजट के रूप में है. उनमें से केंद्रीय मंत्रालयों के पास कुल 85 प्रतिशत आवंटन चला जाता है और राज्यों के लिए ब्लॉक ग्रांट के रूप में सिर्फ 15 प्रतिशत भाग ही रह जाता है. इसलिए व्यवस्था यह होनी चाहिए कि केंद्र अपने पास बजट का बड़ा अंश रखने के बजाय उसे राज्यों को दे दें.
अखिलेश यादव ने रविवार को नई दिल्ली में कहा कि केंद्र द्वारा संचालित कार्यक्रमों से सभी राज्य सामान्य रूप से लाभान्वित नहीं होते हैं. कुछ ऐसे कार्यक्रम भी हैं, जिनसे कुछ ही राज्य फायदा उठा पाते हैं, क्योंकि कार्यक्रमों में लगाई गई शर्तों और प्रतिबंधों की वजह से कठिनाई आती है. वित्तीय संसाधनों का आवंटन पारदर्शी ढंग से राज्यों के बीच किया जाए और इस बंटवारे में पिछड़े क्षेत्रों और राज्यों की जरूरतों को वरीयता दी जाए.
उन्होंने कहा कि योजनाओं के तहत कम से कम 90 प्रतिशत अनुदान राशि राज्यों को उपलब्ध कराई जाए, क्योंकि केंद्र द्वारा संचालित योजनाओं का राज्यों पर बड़ा वित्तीय भार पड़ रहा है. इस तरह के कार्यक्रमों से राज्यों की आर्थिक स्थिति पर अनावश्यक दबाव आता है और कुछ मामलों में ऐसे दायित्वों को निभाने में भी राज्य सरकारें अपने को असहाय पाती हैं.
अखिलेश ने राज्यों को अपनी जरूरत के अनुसार योजनाएं चलाने करने की पूर्ण स्वतंत्रता दिए जाने पर जोर देते हुए कहा कि पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम रूप देने से पहले राज्य सरकारों से विस्तृत विचार-विमर्श किया जाए. मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि योजना आयोग के स्वरूप में केंद्र और राज्यों की समान भागीदारी होनी चाहिए, जिससे सामूहिक रूप से बिना किसी भेदभाव के राज्यों के सर्वागीण विकास संरक्षित हो सकें और संघीय ढांचे को मजबूत आधार मिल सके.
अखिलेश ने कहा कि राज्यों की अपनी-अपनी प्राथमिकताएं हैं, इसलिए सभी राज्यों पर एक ही नीति कारगर नहीं हो सकती. नीतियों में लचीलापन जरूरी है, ताकि राज्य अपनी आर्थिक, सामाजिक व भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए उसमें बदलाव कर सकें. उन्होंने कहा कि योजना आयोग के स्वरूप पर विचार करने से पहले राज्यों को यदि इसकी रूपरेखा की प्रति उपलब्ध कराकर उस पर राय ली जाती, तो ज्यादा फायदेमंद होता.